क्या केदारनाथ में फिर मिल रहा है आपदा का संकेत? जानिए चोराबाड़ी ताल का पूरा सच
वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम हाल ही में चोराबाड़ी ताल का निरीक्षण कर लौटी, अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं
Jun 28 2019 12:14PM, Writer:KOMAL
साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा को भला कौन भूल सकता है। केदारनाथ के पास स्थित चोराबाड़ी झील इस आपदा की अहम वजह थी, आपदा के वक्त झील के टूटने से जो सैलाब केदारनाथ में आया, वो हजारों लोगों की जान लेकर ही थमा। हजारों लोगों की जान चली गई, सैकड़ों गांव उजड़ गए। तबाही का वो खौफनाक मंजर अब भी लोगों के जहन में ताजा है। इन दिनों रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चोराबाड़ी ताल फिर पानी से लबालब है, ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या केदारघाटी एक बार फिर तबाही के मुहाने पर खड़ी है। ये प्रश्न रह-रहकर लोगों के मन में उठ रहे हैं। पर जवाब क्या है ये भी जान लें। वैज्ञानिकों की मानें तो फिलहाल झील से केदारघाटी को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। हाल ही में वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम चोराबाड़ी और उसके आस-पास के ग्लेशियर क्षेत्र का निरीक्षण कर वापस लौटी। वैज्ञानिकों ने बताया कि चोराबाड़ी ताल आपदा के बाद एक बार फिर अपनी पुरानी स्थिति में है।
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चोराबाड़ी ताल में पानी का स्त्राव कम है, ये सीधे बह रहा है। ताल के पास जो ग्लेशियर है उसकी बर्फ पिघलने की वजह से झील बनी है। चोराबाड़ी ताल केदारनाथ से 4 किलोमीटर ऊपर है। जो कि इन दिनों पानी से भरा हुआ है। ताल का निरीक्षण कर लौटे वैज्ञानिकों ने कहा कि फिलहाल इस झील से ना तो केदारनाथ मंदिर को खतरा है और ना ही केदारपुरी को। बता दें कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डीपी डोभाल के नेतृत्व में नौ सदस्यीय टीम केदारनाथ गई थी। इस टीम ने ग्लेशियर क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। टीम दो दिन तक क्षेत्र मे घूमती रही और अपनी रिपोर्ट तैयार की। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय में इस तरह की झीलें बनती और टूटती रहती हैं। ये प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिससे केदारपुरी को कोई खतरा नहीं है। ये रिपोर्ट जल्द ही जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।