लांच होते ही सुपरहिट हुआ ये गढ़वाली गीत..संगीता ढौंडियाल की आवाज में आप भी सुनिये
लोकगायिका संगीता ढौंडियाल एक बार फिर शानदार गीत ‘रे मालू’ लेकर आई हैं, इस गीत में पहाड़ की बेटी का दर्द झलकता है....
Aug 2 2019 3:52PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड की संस्कृति, यहां की पीड़ा, पहाड़ के सुख-दुख देखने-सुनने हों तो पहाड़ी लोकगीतों से बेहतर कोई जरिया नहीं। इन लोकगीतों में जीवन का उल्लास है तो वहीं बेटियों के मायके छोड़कर ससुराल जाने का दर्द भी...एक ऐसा ही खूबसूरत शानदार गीत लेकर लोकगायिका संगीता ढौंडियाल फिर से यू-ट्यूब पर छा गई हैं। उनका गीत ‘रे मालू’ श्रोताओं के बीच खूब लोकप्रिय हो रहा है। एक दिन के भीतर ही इस गीत के वीडियो को हजारों लोग देख चुके हैं। गीत तो कर्णप्रिय है ही, सिनेमैटोग्राफी भी शानदार है। ‘रे मालू’ गीत के बारे में आपको थोड़ा और बताते हैं। ये गीत गढ़वाल के राठ क्षेत्र की संस्कृति की झलक पेश करता है। पुराने वक्त में राठ क्षेत्र गढ़वाल के सबसे दुर्गम इलाकों में से एक हुआ करता था। क्षेत्र में पहुंचने के रास्ते नहीं होते थे। पहाड़ों पर मीलों चढ़ाई करनी होती थी, तब कहीं जाकर लोग राठ क्षेत्र में पहुंचते थे।
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यहां की तकलीफों को देखते हुए उस समय बेटियां इस क्षेत्र में ब्याह कर नहीं जाना चाहती थीं। वो अपने घरवालों से कहती थीं कि उनका विवाह राठ में ना करें। उस वक्त राठ क्षेत्र में जो लोकगीत गाए जाते थे, लोकगायिका संगीता ढौंडियाल ने उन्हीं गीतों को रिक्रिएट किया है। गीत में बेटी अपने पिता से मनुहार कर रही है, कि उसकी शादी राठ मुल्क में ना करें। वो राठ नहीं जाना चाहती। ये लोकगीत एक शानदार प्रस्तुति है। नई धुन और नए कलेवर में सजा ये गीत दर्शकों को पसंद भी आ रहा है। गीत कानों को सुकून देता है। इसे सुनते-देखते आप पुराने वक्त में कहीं खो से जाते हैं। ‘रे मालू’ की सिंगर और म्यूजिक कंपोजर संगीता ढौंडियाल हैं, कोरियोग्राफी में सोहम चौहान और सैंडी गुंसाई का कमाल दिखता है। सिनेमैटोग्राफी और डायरेक्शन गोविंद नेगी का है। आप भी देखिए ये शानदार गीत, आपको भी पहाड़ी संस्कृति में रचा-बसा ‘रे मालू’ जरूर पसंद आएगा...