टिहरी झील पर एशिया का सबसे लंबा पुल, सितंबर से शुरू होगी आवाजाही..जानिए खूबियां
टिहरी डैम बनने के बाद अलग-थलग पड़े प्रतापनगर और गाजणा पट्टी के लोग डोबरा-चांठी पुल के खुलने का इंतजार कर रहे हैं...
Aug 28 2019 4:47PM, Writer:कोमल नेगी
टिहरी झील ने कम वक्त में ही पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग जगह बना ली है। झील निर्माण के लिए पुराने टिहरी को अपना बलिदान देना पड़ा। लोगों को नई टिहरी में बसाया गया, पर लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हुईं। टिहरी झील निर्माण के बाद प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले के कई इलाके अलग-थलग पड़ गए। संचार साधनों का तो उत्तराखंड में वैसे ही बुरा हाल है। इन इलाकों के लोग कई साल से टिहरी झील पर पुल निर्माण की मांग कर रहे थे। लाखों लोगों की ये मुराद जल्द ही पूरी होने वाली है। डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। अगले महीने यानि सितंबर से इस पुल पर लोगों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। चलिए अब आपको इस पुल की खास बात बताते हैं। टिहरी झील पर बन रहे इस पुल की लंबाई 440 मीटर है, ये एशिया का सबसे लंबा पुल है। पुल बनने से क्षेत्र में बसी ढाई लाख आबादी को फायदा होगा।
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टिहरी-उत्तरकाशी के लोग इस पुल के बनने का इंतजार कर रहे हैं। सितंबर से इसे आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा। यही नहीं अगले साल यानि जनवरी 2020 से इस पुल पर सभी तरह की गाड़ियों की आवाजाही भी हो सकेगी। जब से टिहरी डैम बना है, तब से प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले के गाजणा पट्टी के गांव अलग-थलग पड़े हैं। इन इलाकों में करीब ढाई लाख लोगों की आबादी है। जल्द ही ये लोग डोबरा-चांठी पुल के जरिए सड़क सेवाओं से जुड़ जाएंगे। शुरुआत में इस पुल के लिए राज्य सरकार ने 135 करोड़ का बजट दिया था, पर अब तक इस काम में 250 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। पीडब्ल्यूडी की कार्यदायी संस्था पुल निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में जुटी है। साल 2006 से पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। अब ये पूरा होने वाला है। इलाके के लोग खुश हैं। टिहरी झील के बाद क्षेत्र में बन रहा एशिया का ये सबसे बड़ा पुल उत्तराखंड के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि साबित होगा।