पहाड़ की अंकिता ध्यानी...गांव से खेतों में प्रैक्टिस करने वाली बेटी आज नेशनल चैंपियन है
जहरीखाल के छोटे से गांव की अंकिता ने दौड़कर सफलता का आकाश छू लिया, जानिए अंकिता के संघर्ष की कहानी...
Oct 7 2019 6:27PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ की जिंदगी आसान नहीं है, पर जिंदगी की यही मुश्किलें पहाड़ की बेटियों को मजबूत बनाती हैं, उन्हें हर क्षेत्र में संघर्ष कर आगे बढ़ने का हौसला देती हैं। अब पौड़ी की रहने वाली अंकिता ध्यानी को ही देख लें, एक वक्त था जब अंकिता के गांव में दौड़ने के लिए मैदान तक नहीं था, पर मैदान की कमी भी उन्हें दौड़ने से रोक नहीं पाई, और दौड़ते-दौड़ते उन्होंने सफलता का वो आकाश छू लिया, जिसे छूने का सपना हर खिलाड़ी देखता है। अंकिता ध्यानी महज 16 साल की उम्र में नेशनल जूनियर स्कूल गेम्स में 1500 मीटर और पांच हजार मीटर वर्ग दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन बन गई हैं। कोटद्वार के जहरीखाल ब्लॉक में एक गांव है मेरूड़ा, अंकिता और उनका परिवार यहीं रहता है। बचपन में खेल मैदान को ताकती अंकिता खिलाड़ी बनने का ख्वाब देखा करती थी, पर मैदान के बीचों-बीच एक बिजली का पोल लगा था। टीचर बच्चों को खेल के मैदान से दूर ही रखते थे। पर अंकिता ने ठान लिया था कि दौड़ तो जारी रखनी ही है। कक्षा 8 में पढ़ाई के दौरान अंकिता ने पहली बार राष्ट्रीयस्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। बाद में साल 2013 से लेकर लगातार 2016 तक नेशनल गेम्स में हिस्सा लेती रहीं, पर प्रथम तीन में जगह नहीं बना पाईं।
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इस असफलता से टूटने की बजाय उन्होंने दोगुनी मेहनत से तैयारी की और आखिरकार अपना सपना सच कर दिखाया। अंकिता ने हाल ही में तमिलनाडु मे हुई नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इस वक्त अंकिता भोपाल के साईं हॉस्टल में रहकर दौड़ की बारीकियां सीख रही हैं। वो इंटरनेशनल स्कूल गेम्स की तैयारी में जुटी हैं। अंकिता तेलंगाना और बड़ोदरा में हुई दौड़ प्रतियोगिता में भी पहला स्थान पा चुकी हैं। साल 2018-19 में अंकिता ने यूथ फेडरेशन की तरफ से रांची में हुई प्रतियोगिता में 1500 मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया। यही नहीं वो उत्तराखंड के रुद्रपुर मे हुए राज्य ओलंपिक में पांच हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान हासिल कर चुकी हैं। अंकिता का चयन इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए भी हुआ था, जिसका आयोजन हांगकांग में होना था, पर लापरवाह सरकारी सिस्टम के चलते अंकिता हांगकांग नहीं जा सकीं। तमाम मुश्किलों के बावजूद अंकिता मेहनत में जुटी हुई हैं, राज्य समीक्षा टीम की तरफ से अंकिता को बधाई, आप भी पहाड़ की इस होनहार बिटिया को बधाई देकर उसका हौसला बढ़ाएं।