देवभूमि का अमृत..कैंसर, डायबिटीज और कुष्ठ रोगों का इलाज है गींठी, जानिए इसके फायदे
पहाड़ में मिलने वाली गीठीं औषधीय गुणों की खान है, इसका सेवन कई लाइलाज बीमारियों से निजात दिलाता है...जानिए इसके फायदे
Oct 15 2019 12:16PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड प्राकृतिक संपदा और जैव विविधता के साथ ही यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध है। देवभूमि में मिलने वाली जड़ी-बूटियों में जीवनदायिनी शक्ति है। पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में आज भी इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक है पहाड़ में मिलने वाला जंगली फल गीठीं। इसके औषधीय गुणों के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिसे ठीक करने की ताकत गीठीं में ना हो। ये पहाड़ में मिलने वाला कंदमूल फल है, जो कि आमतौर पर जंगलों में मिलता है। औषधीय गुणों के चलते गीठीं की डिमांड बढ़ रही है, यही वजह है कि पहाड़ के कुछ लोग घरों में गीठीं की खेती कर रहे हैं। पहाड़ों में लताऊ, झिंगुर, करी, बाकवा, बोंबा, मकड़ा, शाहरी, बड़ाकू, दूधकू, कुकरेंडा, सियांकू, धधकी, रांय-छांय, कोकड़ो, कंदा, बरना कंदा, दुरु कंदा, बरनाई, खानिया और मीठारू कंदा जैसी कई जड़ी-बूटियां और कंदमूल फल मिलते हैं, जिनका इस्तेमाल इलाज के लिए आज भी होता है। आगे जानिए गींठी के बेमिसाल गुण
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औषधियों के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने और इस दिशा में और रिसर्च किए जाने की जरूरत है। गीठीं में कई औषधीय गुण हैं, जो कि रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। गीठीं का वनस्पतिक नाम नाम है डाइस्कोरिया बल्बीपेरा, ये डाइस्कोरेसी फैमिली का पौधा है। पूरे विश्व में गीठीं की कुल 600 प्रजातियां मिलती हैं। गीठीं के फल बेल में लगते हैं, जो कि गुलाबी, भूरे और हरे रंग के होते हैं। आमतौर पर गीठीं के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर महीने के दौरान होती है। गीठीं में प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है, कई जगह इसका इस्तेमाल सब्जी के तौर पर किया जाता है। गीठीं का सेवन डायबिटिज, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग और अपच संबंधी समस्याओं में विशेष लाभदायी है। यही नहीं ये पाचन क्रिया को संतुलित करने के साथ ही फेफड़ों की बीमारी, त्वचा रोग और पित्त की थैली में सूजन जैसी समस्याओं में भी बेहद कारगर है।