ये हैं उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के प्रधान, जानिए इनके मास्टर प्लान
पंचायत चुनाव में जीत हासिल करने वाले युवा जनप्रतिनिधि अब गांवों के हालात सुधारने के लिए कमर कस चुके हैं, विकास के लिए इनके पास खास प्लानिंग है...
Oct 24 2019 12:27PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में हुए पंचायत चुनाव कई मायनों में बेहद खास रहे। इस बार गांववालों ने लीक से हटकर युवा जनप्रतिनिधियों को गांव की बागडोर सौंपी। ग्राम प्रधान चुने गए ये युवा पढ़े-लिखे हैं, गांव वालों के दुख-तकलीफें समझते हैं और उसे दूर करने के लिए इनके पास खास प्लान है। पूरे प्रदेश में पंचायत चुनाव जीतने वालों में आधे प्रत्याशी युवा हैं। चलिए अब आपको उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के युवा ग्राम प्रधानों से मिलाते हैं, साथ ही उनके मास्टर प्लान के बारे में भी जानेंगे। सबसे पहले बात करेंगे रागिनी आर्य की। रागिनी उत्तराखंड की सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान हैं, वो महज 21 साल की हैं। रागिनी पनियाली ग्राम सभा से प्रधान चुनी गईं। रागिनी साइकोलॉजी में ग्रेजुएट हैं। अब वो गांव के हालात सुधारने के लिए काम करना चाहती हैं।
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इसी तरह रुद्रप्रयाग के रहने वाले अमित प्रदाली भी 22 साल की उम्र में प्रधान बन गए हैं। वो मयकोटी से प्रधान चुने गए। अमित पहले से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वो श्रीनगर छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अमित केंद्रीय विश्वविद्यालय से एम.फार्मा कर रहे हैं। वो अगले पांच साल में अपने गांव को एक मॉडल विलेज बनाना चाहते हैं। चंपावत में प्रधान बनीं मीना कुंवर भी कुछ ऐसा ही सोचती हैं। मीना महज 23 साल की उम्र में ग्राम प्रधान बन गईं। वो भंडारबोरा से प्रधान चुनी गईं। मीना ने अपने करीबी विरोधी को 27 वोटों से हराया। मीना ने कहा कि गांववालों ने उन पर भरोसा किया, ये उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। अब गांव का विकास करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है। इसके लिए वो अपने स्तर पर हरसंभव प्रयास करेंगी।