उत्तराखंड के इस विश्वविद्यालय में अराजकता, CCTV में छात्रों का सामान चोरी करते दिखा सुरक्षा गार्ड
जिस गार्ड पर यूनिवर्सिटी हॉस्टल की सुरक्षा का जिम्मा था, वही छात्रों के कीमती सामान-नकदी पर हाथ साफ करता रहा...पढ़ें पूरी खबर
Nov 18 2019 7:56AM, Writer:komal
उत्तराखंड का पंतनगर प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय इन दिनों लगातार चर्चा में है, पर अफसोस की बात ये है कि ये चर्चाएं गलत वजहों से हो रही है। कभी इस यूनिवर्सिटी में सीनियर छात्रों पर रैगिंग का आरोप लगता है तो कभी हॉस्टल वॉर्डन पर छात्राओं संग अश्लील बातें करने के आरोप लगे। पर इस बार तो हद ही हो गई। हॉस्टल में तैनात सुरक्षा गार्ड छात्रों का सामान चोरी करते हुए सीसीटीवी में कैद हो गया। अब आप खुद ही सोच लें कि यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाले छात्र और उनका सामान कितना सुरक्षित होगा। जिस सुरक्षाकर्मी पर छात्रों के सामान की रखवाली का जिम्मा था, वही छात्रों के सामान पर हाथ साफ कर चलता बना। छात्रावास में लगे सीसीटीवी कैमरे में आरोपी सुरक्षा गार्ड चोरी करते हुए कैद हुआ है। मामला सामने आने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आरोपी गार्ड को हटा दिया है, पर विद्यार्थी अब भी परेशान हैं। उनका कहना है कि गार्ड ने जो सामान और रुपये चोरी किए थे, उसकी भरपाई कौन करेगा। गार्ड को काम से निकाल दिया गया, लेकिन नुकसान तो छात्रों को भी उठाना पड़ रहा है। घटना तीन नवंबर की है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में बस खरीदवाने के नाम पर लाखों की ठगी, पति पत्नी हुए गिरफ्तार
यूनिवर्सिटी प्रशासन को शिकायत मिली थी कि मीनाक्षी भवन में रहने वाले छात्रों के कमरे से कपड़े, जूते रुपये और दूसरा सामान चोरी हो रहा है। वार्डन से लेकर डीएसडब्ल्यू तक से शिकायत की गई, पर चोरी नहीं रुकी। बीते 3 नवंबर को छात्रों ने सीसीटीवी को अपने कमरों की तरफ मोड़ लिया और क्लासेज में चले गए। शाम को लौटने पर छात्रों ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया। उन्होंने देखा की सुरक्षा गार्ड खड़क राम सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आया। कमरे में रखे जूते उठाए और नीचे फेंक दिए। बाद में गार्ड नीचे गया और जूते उठाकर चलता बना। छात्रों ने बताया कि अब तक उनके करीब साढ़े ग्यारह हजार रुपये, आठ जोड़ी जूते और कई कीमती कपड़े और अन्य सामान चोरी हो चुका है। यूनिवर्सिटी में साढ़े तीन सौ गार्ड हैं, जो कि ठेके पर रखे हुए हैं, इनके वेरिफिकेश का कोई प्रावधान नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस लापरवाही का खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं।