image: Nainital 179 birthday celebrated with great joy

किसने की थी नैनीताल की खोज? जानिए इस खूबसूरत शहर का 178 साल पुराना इतिहास

पीटर बैरन इस जगह पर शहर बसाने का सपना देखने लगे, पर ये सपना दानसिंह थोकदार ने तोड़ दिया। उसने नैनीताल बेचने से इनकार कर दिया। तब बैरन ने एक चाल चली....
Nov 19 2019 5:01PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल...खूबसूरत तालों के लिए मशहूर इस शहर ने 18 नवंबर को अपना 179 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। यानि सरोवर नगरी की स्थापना को 178 साल पूरे हो गए हैं। आज नैनीताल देश के मशहूर हिल स्टेशंस में से एक है, लेकिन इसे ये पहचान देने का श्रेय काफी हद तक अंग्रेजों को जाता है। अंग्रेजो के वक्त की निशानियां नैनीताल में आज भी मौजूद हैं, जो इसे ऐतिहासिक रूप से बेहद समृद्ध बनाती है। चलिए आज आपको नैनीताल की स्थापना की कहानी सुनाते हैं। समुद्र तल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस शहर की खोज का श्रेय जाता है ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन को, जिन्होंने 18 नवंबर साल 1841 में इस जगह को ढूंढा था। उस समय नैनीताल का अधिकार दान सिंह थोकदार के पास था, जो कि स्थानीय निवासी थे। पर पीटर बैरन को ये जगह इतनी भा गई कि उन्होंने इसे खरीदने की ठान ली।

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ब्रिटिश व्यापारी ने अपनी इच्छा दानसिंह थोकदार को बताई तो वो इसे बेचने के लिए तैयार भी हो गए। पीटर बैरन इस जगह पर शहर बसाने का सपना देखने लगे, पर ये सपना दानसिंह थोकदार ने अचानक तोड़ दिया। उसने नैनीताल बेचने से इनकार कर दिया। तब बैरन ने एक चाल चली। वो दान सिंह को नाव में बैठाकर नैनीताल झील की सैर पर निकल पड़े। जैसे ही नाव झील के बीच पहुंची बैरन ने दान सिंह से कहा कि वो ये इलाका उन्हें दे दे, वरना वो उसे झील में डूबो कर मार डालेंगे। पीटर बैरन ने इस वाक्ये का जिक्र अपनी किताब "नैनीताल की खोज" में भी किया है। उन्होंने लिखा कि डूबने के डर से दान सिंह ने स्टांप पेपर पर तुरंत दस्तखत कर दिए, और इस तरह नैनीताल पीटर बैरन का हो गया। आज नैनीताल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए भी मशहूर है।


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