उत्तराखंड पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, लगातार आ रहे भूकंप ने दिया अशुभ संकेत
टेक्टोनिक प्लेट टूटने की वजह से मध्य हिमालयी क्षेत्रों की ऊंचाई बढ़ रही है, जो कि आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित होगी..
Dec 3 2019 5:16PM, Writer:कोमल
उत्तराखंड की धरती बार-बार डोल रही है। कभी पिथौरागढ़, कभी चमोली तो कभी उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग, इन चार जिलों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक कह चुके हैं कि उत्तराखंड पर महाभूकंप यानि मेगा अर्थक्वैक का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन एक और वजह है, जिसने वैज्ञानिकों को परेशान किया हुआ है। ये चिंता हिमालय से जुड़ी है। वैज्ञानिकों की मानें तो लगातार आ रहे भूकंप से हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है, और ये शुभ संकेत नहीं है। मध्य हिमालयी क्षेत्रों में हर दिन 800 भूकंप आते हैं, हिमालय की सेहत के लिए ये ठीक नहीं है। भूकंप की वजह से हिमालय की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल के वरिष्ठ प्रोफेसर ने इस पर चिंता जताई है। वरिष्ठ प्रोफेसर सीसी पंत कहते हैं कि हिमालय की बढ़ती ऊंचाई आने वाले समय में बड़ा खतरा साबित होगी। भूकंप की वजह से मेन बाउंड्री थ्रस्ट, मेन सेंट्रल थ्रस्ट में दबाव पड़ने से टेक्टोनिक प्लेट टूट रही हैं। मध्य हिमालयी क्षेत्र में हर दिन 800 भूकंप आते हैं, पर इनकी तीव्रता कम होती है, इसीलिए इन्हें महसूस नहीं किया जा सकता।
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इन भूकंपों को सिर्फ मशीनों द्वारा ही नापा जा सकता है। कम तीव्रता वाले भूकंप भले ही महसूस ना होते हों लेकिन ये बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। छोटे भूकंपों की वजह से जमीन के भीतर पैदा हो रही ऊर्जा सही मात्रा में रिलीज नहीं हो पा रही। टेक्टोनिक प्लेट पर लगातार दबाव पड़ रहा है और धरती के अंदर हलचल मच रही है। प्लेट टूटने की वजह से मध्य हिमालयी क्षेत्रों की ऊंचाई बढ़ रही है, जो कि आने वाले समय में बेहद खतरनाक साबित होगी। इससे पहले वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि तिब्बत से लेकर पूरे उत्तराखंड क्षेत्र पर मेगा अर्थक्वैक का खतरा मंडरा रहा है। अध्ययन से ये भी पता चला कि उत्तराखंड में साल 1344 और 1505 में लालढांग के पास आठ रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता के भूकंप आए हैं। इसके बाद से यहां कोई बड़ा भूकंप नहीं आया। यही वजह है कि लंबे वक्त से भूगर्भ में इकट्ठा हो रही ऊर्जा कभी भी महाभूकंप का सबब बन सकती है।