कहां लापता हो गए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के 13 डॉक्टर? छुट्टी लेकर गए थे, पर 8 महीने बाद भी नहीं लौटे
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के 13 बांडधारी डॉक्टर पिछले कई महीनों से ड्यूटी पर नहीं लौटे हैं, इन्हें पहाड़ से सस्ता एमबीबीएस करना मंजूर था, पर वहां काम करना नहीं...
Dec 24 2019 3:53PM, Writer:कोमल
प्रदेश सरकार पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं, पर जब डॉक्टर ही टिकने को राजी नहीं तो सरकार भी क्या करे। अब श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को ही देख लें, जहां सुविधाएं तो हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं। यहां के 13 बांडधारी डॉक्टर एक दो हफ्तों से नहीं पिछले कई महीनों से लापता हैं। ये डॉक्टर राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर से पास आउट हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले ये डॉक्टर अब अपने शिक्षण संस्थान में लौटने को राजी नहीं। कॉलेज के अलग-अलग विभागों में तैनात 13 डॉक्टर लंबे समय से गैरहाजिर चल रहे हैं। इनका इंतजार करते-करते करते मरीजों की आंखें पथरा गई, पर ये लौटने का नाम नहीं ले रहे। इनकी बाट जोहते-जोहते थक चुके संस्थान ने भी इन डॉक्टर्स को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय पीएमएचएस के लिए रिलीव कर दिया है। यानि इन डॉक्टर्स से निपटने की जिम्मेदारी अब विभाग की है। ये डॉक्टर्स कौन हैं और इन्हें बांडधारी डॉक्टर्स क्यों कहा जाता है, आपको ये भी जानना चाहिए।
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दरअसल श्रीनगर मेडिकल कॉलेज छात्र-छात्राओं को कम खर्चे पर मेडिकल संबंधी पढ़ाई की सुविधा देता है। जो छात्र इस सुविधा का फायदा उठाते हैं, उनसे एक बांड भराया जाता है। जिसके तहत इन छात्रों को पीएमएचएस के अधीन 5 साल तक दुर्गम इलाकों में सेवाएं देनी होती हैं। शासनादेश के तहत एमबीबीएस और एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप के बाद बांडधारी एक साल तक जूनियर रेजीडेंट के रूप में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देते हैं। इस साल भी मार्च-अप्रैल और अगस्त-सितंबर 2019 में बांडधारी डॉक्टर्स को जूनियर रेजीडेंसी के लिए नियुक्ति प्रदान की गई थी, पर कुछ समय ड्यूटी करने के बाद ये गायब हो गए। इमरजेंसी लीव लेकर गए और लौटे ही नहीं। इन डॉक्टर्स में डॉ. तीस्ता गुसाईं, डॉ. ओशीन चौहान, डॉ. अनुज्ञा कुशवाहा, डॉ. निशा उपाध्याय, डॉ. किरन रावत, डॉ. प्रियंका चौधरी, डॉ. शोभना सिंह, डॉ. सुनक्षा गोली, डॉ. आशीष ढौंडियाल, डॉ. शुभम खर्कवाल, डॉ. राधिका कोठारी, डॉ. आनंद प्रसाद खंकरियाल और डॉ. श्रुति त्यागी शामिल हैं। इन सबने पढ़ाई के लिए शासन की दरियादिली का खूब फायदा उठाया, लेकिन जब पहाड़ में काम करने की बात आई तो लौटकर नहीं आए। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि ये सरासर अनुशासनहीनता है। इसीलिए इन 13 डॉक्टर्स को पीएमएचएस महानिदेशालय के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है। अब ये सभी डॉक्टर बांड की शर्तों के अनुसार शेष अवधि महानिदेशालय के अधीन सेवाएं देंगे।