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उत्तराखंड: किशोर उपाध्याय ने पेश की वनाधिकार आन्दोलन की रूपरेखा, आप भी जानिए

उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड में 72 फीसदी वन भूमि है, लेकिन उत्तराखंडियों को Forest Dwellers नहीं माना जा रहा है, उन्होंने अपनी माँगों पर ज़ोर देते हुये कई बातें कहीं...आप भी देखिए
Dec 26 2019 4:37PM, Writer:कोमल नेगी

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने जन नायक बडोनी जी व वीर चंद्रसिंह गढ़वाली जी की जयन्ती के अवसर पर वर्ष 2020 के वनाधिकार आन्दोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की है। उपाध्याय ने कहा कि 2019 का साल वनाधिकार के मुद्दों का साल रहा है, झारखंड में जल, जंगल और ज़मीं के मुद्दों पर श्री हेमन्त सोरेन ने वहाँ की जनता का विश्वास जीता है।कांग्रेस ने भी झारखंड में इन्ही मुद्दों पर चुनाव लड़ा है।छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी वनाधिकार के सवालों को जीवन्तता के साथ आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड में 72 फीसदी वन भूमि है, लेकिन उत्तराखंडियों को Forest Dwellers नहीं माना जा रहा है, उन्होंने अपनी माँगों पर ज़ोर देते हुये कहा कि
(1) उत्तराखण्ड को वनवासी प्रदेश घोषित कर उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।
(2) जब दिल्ली की सरकार उत्तराखण्ड का पानी दिल्ली की जनता को फ्री दे सकती है तो उत्तराखण्ड सरकार को भी जनता को निशुल्क पानी दिया जाना चाहिए।
(3) हमारे सारे ईंधन के कार्य जंगल से ही पूरे होते थे, इसलिए 01 गैस सिलेंडर हर महीने निशुल्क मिलना हमारा हक़ है।
(4) अपना घर बनाने के लिए हमे निशुल्क पत्थर बजरी लकड़ी आदि मिलना चाहिए तथा दिल्ली की तरह 300 यूनिट बिजली निशुल्क मिले।
(5) युवाओं के रोजगार के लिए उत्तराखण्ड में उगने वाली जड़ी-बूटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाए।
(6) यदि कोई जंगली जानवर किसी व्यक्ति को विकलांग कर देता है या मार देता है तो सरकार को 25 लाख रु मुआवजा व पक्की सरकारी नौकरी देनी चाहिए।
(7) जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान पर सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से 1500 रु प्रति नाली के हिसाब से क्षतिपूर्ति दी जाए।
(8) वन अधिकार अधिनियम-2006 को उत्तराखण्ड में लागू किया जाए और उत्तराखण्ड को प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ ग्रीन बोनस दिया जाए।
(9) लोक देवताओं की स्थापना/ परम्परागत बीजों /लोक शिल्प/लोक संस्कृति/फ़सलों/पशुओं/वन्य प्राणियों/वनस्पतियों आदि के क्षेत्र में कार्य।
(10) नशा मुक्त उत्तराखंड ।
(11) राज्य में अविलंब चकबंदी।
उपाध्याय ने कहा कि 2020 में हर विधान सभा क्षेत्र व जनपद स्तर पर वनाधिकार इकाइयों का गठन कर दिया जायेगा।अभी तक 15विधानसभा क्षेत्रों में संयोजक बना दिये गये हैं।
वनाधिकार युवा सेना,वनाधिकार महिला सेना, वनाधिकार छात्र सेना, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सेना आदि इकाइयों का गठन किया जायेगा।
वनाधिकार आन्दोलन 2020 में संसद में सभी संसदीय दलों के मुखियाओं और राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के अध्यक्षों से भेंट करेगा।उत्तराखंड के सांसदों से भी समर्थन हेतु मिलेंगे।
वनाधिकार आन्दोलन ने सभी विधायकों को 2 वर्ष पूर्व विधान सभा में वनाधिकारों के प्रस्ताव को पारित करने का अनुरोध किया था, जो अब तक नहीं हो पाया है।
विधायकों को जगाने के लिये आगामी बजट सत्र में विधान सभा के समक्ष डौंरी-थकुली बजाकर “घडियाला” लगाकर विधायक देवताओं को जगाया जायेगा।


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