पहाड़ का ये पढ़ा-लिखा किसान लाखों में कमा रहा है, युवाओं के बीच बना रोल मॉडल
हायर एजुकेशन के बाद रघुवर ने पहाड़ में खेती करने का फैसला किया, पर ये इतना आसान नहीं था...
Dec 27 2019 11:52AM, Writer:कोमल
पहाड़ में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। खेती, मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन जैसे कई तरीके हैं, जिनके जरिए लोग घर-गांव में रहकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। सरकार भी स्वरोजगार में मदद कर रही है। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। अच्छी बात ये है कि धीरे-धीरे ही सही, लोग इस बात को समझने लगे हैं, कि शहरों में धक्के खाने से बेहतर है कि अपने गांव-पहाड़ में रहकर कुछ किया जाए। खुद भी आत्मनिर्भर बनें और दूसरों को भी रोजगार दें। अब पिथौरागढ़ के रहने वाले रघुवर दत्त को ही देख लें, जिन्होंने क्षेत्र में मत्स्य, मुर्गी पालन और फार्मिंग कर क्षेत्र के दूसरे युवाओं के लिए मिसाल कायम की है। रघुवर दत्त लोहाघाट के विशुंग इलाके में रहते हैं। वो खेती से लाखों कमा रहे हैं। साथ ही मुर्गी पालन, मत्स्य पालन और दूसरे उद्योगों से भी जुड़े हैं। रघुवर पहाड़ के शिक्षित युवा हैं। उन्होंने साल 2000 में लखनऊ से पीजी किया। हायर एजुकेशन के बाद रघुवर ने पहाड़ में खेती करने का फैसला किया। पर ये इतना आसान नहीं था। उन्हें खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
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गांव में सिंचाई के लिए पानी भी नहीं था। तब रघुवर ने कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि एवं उद्यान विभाग से तकनीकी जानकारी हासिल की। मेहनत रंग लाई और उनके खेतों में हरियाली छा गई। आज रघुवर हर सीजन में एक से डेढ़ लाख तक की सब्जियां बेच रहे हैं। वो अपने खेतों में ऑर्गेनिक सब्जियां उगाते हैं। मुर्गी पालन और मत्स्य पालन से भी मुनाफा कमा रहे हैं। गांव के इस पढ़े लिखे किसान को कई संस्थाओं ने सम्मानित किया है। वो क्षेत्र के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। रघुवर कहते हैं कि अगर हमें पलायन रोकना है तो शुरुआत खुद करनी होगी। स्वरोजगार के जरिए पलायन को खत्म किया जा सकता है, गांवों को उजड़ने से बचाया जा सकता है...और ये जिम्मेदारी हम सबकी है।