उत्तराखंड: जिस स्टेडियम में पिता 30 साल तक रहे सफाईकर्मी, वहीं कोच बनकर लौटा बेटा
इंद्रजीत ने अपनी जिंदगी के 30 साल जिस जमीन को साफ करते हुए बिता दिए, वहां अब उनका बेटा खेल प्रतिभाओं का निर्माण करेगा...
Jan 15 2020 1:00PM, Writer:कोमल नेगी
काशीपुर का स्पोर्ट्स स्टेडियम...किसी के लिए ये जमीन का एक टुकड़ा भर होगा, पर इंद्रजीत के लिए ये जमीन उनकी जिंदगी है। इंद्रजीत ने अपनी जिंदगी के 30 साल इसी जमीन के टुकड़े को साफ करते हुए बिता दिए और अब इस जमीन पर उनका बेटा खेल प्रतिभाओं का निर्माण करेगा। इंद्रजीत स्पोर्ट्स स्टेडियम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। अब उनका बेटा मोहित इसी स्टेडियम में हॉकी का कोच बन गया है। बेटे की इस उपलब्धि से इंद्रजीत गर्वित हैं, बेटे ने उन्हें सालों की मेहनत का फल दे दिया। इस स्टेडियम में अब इंद्रजीत का बेटा मोहित देश के लिए खिलाड़ी तैयार करेगा। इस कहानी की शुरुआत 32 साल पहले हुई। इंद्रजीत का परिवार मुरादाबाद का रहने वाला है। स्टेडियम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति के बाद इंद्रजीत काशीपुर आ गए। परिवार भी यहीं रहने लगा। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है।
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बच्चों की खेल में बहुत रुचि थी। बेटा मोहित भी हॉकी खेलने लगा। स्टेडियम के कोच जेपी यादव ने भी मोहित को बहुत सपोर्ट किया। पढ़ाई के साथ-साथ हॉकी भी चलती रही। होनहार मोहित ने उत्तराखंड से अंडर 14 और अंडर 16 में नेशनल खेलकर अपनी पहचान बनाई। सीनियर टीम के लिए भी हॉकी खेलते रहे। पीजी करने के बाद उन्होंने पटियाला की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से खेल प्रशिक्षण का डिप्लोमा लिया। बाद में मोहित सिंह की पोस्टिंग रुद्रपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में हो गई। इसके बाद उन्हें अल्मोड़ा स्पोर्ट्स स्टेडियम में ट्रेनिंग देने का मौका मिला। रुद्रपुर और अल्मोड़ा के बाद मोहित सिंह काशीपुर के स्टेडियम में हॉकी प्रशिक्षक बनकर आए। ये वही स्टेडियम है, जिसे उनके पिता पिछले 30 साल से साफ करते आ रहे हैं। पिता की इस कर्मभूमि पर अब मोहित खेल प्रतिभाएं तैयार करेंगे। पिता इंद्रजीत भी खुश हैं। अब उनका बेटा काशीपुर में कोच के तौर पर बच्चों को ट्रेनिंग देगा। मोहित सिंह इस वक्त काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोच की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वो क्षेत्र के लगभग 70 से 80 बच्चों को हॉकी का प्रशिक्षण दे रहे हैं।