उत्तराखंड में गजब ही हो गया..जिंदा आदमी को मरा हुआ बता दिया, रोक दी पेंशन
दिव्यांग रतन सिंह की पेंशन साल 2005 में शुरू हुई थी, साल 2016 में पेंशन रोक दी गई। रतन सिंह कई साल तक दफ्तरों के चक्कर काटते रहे, तब पता चला कि विभाग ने उन्हें मृत मानकर पेंशन रोक दी है, जानिए पूरा मामला
Feb 13 2020 6:40PM, Writer:कोमल नेगी
सरकार दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन इन योजनाओं का फायदा उन तक पहुंच नहीं रहा। उत्तरकाशी में सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा एक दिव्यांग को भुगतना पड़ रहा है। यहां समाज कल्याण विभाग पर आरोप लगा है कि उसने दिव्यांग को मृत घोषित कर उसकी पेंशन बंद कर दी। पीड़ित को साल 2016 से पेंशन नहीं मिली। कई साल तक दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद पता चला कि कागजों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है। जिसके बाद विभाग ने उसकी पेंशन रोक दी। कहीं से मदद ना मिलते देख पीड़ित दिव्यांग ने डीएम उत्तरकाशी को अपनी आपबीती सुनाई। जिसके बाद डीएम ने मामले की तुरंत जांच के आदेश दिए। पीड़ित दिव्यांग का नाम रतन सिंह है। 47 वर्षीय रतन सिंह मोरी ब्लॉक के सटूड़ी गांव में रहते हैं। आगे पढ़िए
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बुधवार को वो कलेक्ट्रेट पहुंचे और डीएम डॉ. आशीष चौहान को अपनी पीड़ा बताई। रतन सिंह ने बताया कि साल 2005 में उनकी पेंशन शुरू हुई थी। पेंशन डाकघर जखोल की शाखा में आती थी। 2015 तक उन्हें हर महीने 1 हजार रुपये बतौर पेंशन मिलते रहे, लेकिन साल 2016 में पेंशन आनी बंद हो गई। उन्होंने समाज कल्याण विभाग के दफ्तरों के कई चक्कर काटे, पर कुछ पता नहीं चला। बाद में उत्तरकाशी स्थित दफ्तर गए, वहां पता चला कि कागजों में उन्हें मृत घोषित कर पेंशन रोक दी गई है। मामला सामने आने पर डीएम ने पुरोला के एसडीएम और मोरी के तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण अधिकारी डीडी आर्य ने भी अधिकारियों से रिपोर्ट तलब कर पूछा है कि किसकी सूचना पर रतन सिंह को मृत घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि रतन सिंह की पेंशन दोबारा शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। मामले की जांच की जा रही है।