लॉकडाउन: पहाड़ में ऐसे नौजवान भी हैं, अपनी गाड़ियों से मरीजों को निशुल्क पहुंचा रहे अस्पताल
लॉकडाउन के चलते यातायात ठप्प है। ऐसे में पहाड़ के कुछ युवा सुदूर गांवो को लोगों की मदद के लिए सामने आये हैं। वो अपने निजी वाहनों में मरीजों को निशुल्क अस्पताल तक पहुंचा रहे हैं।
Mar 30 2020 6:33PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
कोरोना ने समस्त विश्व को अपने प्रकोप से घर में कैद रहने को बाधित कर दिया है। भारत हर तरीके से इससे लड़ने की तैयारी कर रहा है। भारत सरकार ने पूरे भारत में 21 दिन के लिए लॉकडाउन भी लगा रखा है। उत्तराखंड में कोरोना के 6 केस सामने आए हैं। लोग सहमे हुए हैं। प्रशासन सख्त हो रखा है। सभी दुकानें, स्कूल, अस्पताल, बन्द हो रखे हैं। सड़कों पर परिवहनों की आवाजाही नामात्र की हो गई है। वाहनों से ठसाठस भरी रहने वाली रोड़ पर इक्का-दुक्का वाहन ही देखने को मिल रहे हैं। देवप्रयाग में लोगों को लॉकडाउन के चलते भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। देवप्रयाग में दूर-दराज के कई गांव में सब सुविधाओं के ठप्प होने की वजह से लोगों को इमरजेंसी के समय काफी परेशानी हो रही है। यातायात ठप्प हो जाने के कारण लोगों को अस्पताल ले जाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में अगर गांव में किसी व्यक्ति को उपचार की ज़रूरत पड़ी तो वो कैसे अस्पताल पहुंच पायेगा? ऐसे ही लोगों की ज़िम्मेदारी ली है देवप्रयाग के कुछ युवाओं ने। वे आपातकालीन स्थिति में देवप्रयाग के कीर्तिनगर क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों से ज़रूरतमंद लोगों को निःशुल्क अस्पताल तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
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यातायात के ठप्प पड़ जाने से और108 की सुविधा के बन्द पड़ने से देवप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्र में आ रही समस्या को देखते के बाद कुछ युवाओं ने उनकी परेशानी कम करते हुए उनको अस्पताल तक पहुंचाने का ज़िम्मा खुद के कंधों पर लिया है। युवा वर्ग से इस देश को बहुत उम्मीदें हैं और वो इन उम्मीदों पर खरा भी उतर रहा है, ये साबित कर दिखाया है देवप्रयाग के इन मददगार युवाओं ने। वे अपने निजी वाहनों से निःशुल्क देवप्रयाग के ज़रूरतमंद ग्रामीण लोगों को स्थानीय अस्पताल पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। वे कीर्तिनगर के ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज़ो को अपने निजी वाहनों के ज़रिए स्थानीय अस्पताल पहुँचा रहे हैं। उन्हीं में से एक समाजसेवी गणेश भट्ट के अनुसार चल रहे लॉकडाउन के दौरान वाहनों की आवाजाही नहीं हो रही है। यातायात ठप्प पड़ा है। ऐसे में ग्रामीण लोग के पास ऐसा कोई ज़रिया नहीं था जिससे वो आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुंच सकें। इसलिए हमने उनकी मदद करने की ठानी। देवप्रयाग के इन मददगार युवाओं ने इस आपातकालीन स्थिति में एक जीता-जागता उदाहरण समाज के आगे पेश किया है। जब इन जैसे कर्मठ युवाओं को देखते हैं तो लगता है कि देश का भविष्य वाकई उज्जवल हाथों में जायेगा।