image: Nainital khupi village story

पहाड़ के इस गांव में लोगों ने खुद को किया सील, बाहर से आने वालों की 'NO ENTRY '

खुपी गांव के निवासियों ने अपने गांव को खुद से लॉक करके जागरूकता का उदाहरण पेश किया है। यह गांव हाइवे पर पड़ता है इस वजह से अधिक रिस्क के कारण गांव के सभी औरतें और मर्द दिन-रात पहरेदारी कर रहे हैं।
Apr 12 2020 4:06PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से कोरोना का कोई भी पॉज़िटिव केस न मिलने की वजह से थोड़ी शान्ति बनी हुई है। राज्य में स्वास्थ्य प्रणाली की गम्भीरता के कारण दो कोरोना संक्रमित मरीज बिल्कुल ठीक हो गए है। ट्रेन सही ट्रैक पर जा रही है और इसका बहुत बड़ा कारण है लोगों के अंदर जागरूकता। उत्तराखंड के बहुत लोग और खासकर ग्रामीणों द्वारा इस वायरस को गम्भीरता से लिया जा रहा है। यहां लोगों के अंदर जागरूकता भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। कोरोना के चलते सरकार ने तो लॉकडाउन कर ही दिया है, साथ ही साथ उत्तराखंड के ग्रामीणों ने भी एहतियात के तौर पर गांव को सील करना शुरू करदिया है। नैनीताल में ऐसा ही एक गांव है जिसने खुद को आइसोलेट करके बाहर वालों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नैनीताल के खुपी गांव के ग्रामीणों ने अपने गांव को लॉकडाउन कर दिया है और बाहर के लोगों पर नो एंट्री लगा दी है। खुपी गांव के ग्रामीण कोरोना को लेकर काफी जागरूक हैं और वह यह ध्यान रख रहे हैं कि उनके गांव में यह वायरस ना फैले और सब लोग सुरक्षित रहें। आगे पढ़िए

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ग्रामीणों की माने तो उनका गांव नेशनल हाईवे पर पड़ता है जिस वजह से उनके गांव के अंदर संदिग्ध लोगों के आने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए रिस्क न लेते हुए उन्होंने समस्त गांव को 'लॉक' करने का साझा निर्णय लिया।उन्होंने बाहर से आने वाले लोगों की एंट्री पर बिल्कुल रोक लगा दी है और गांव के दरवाजे उनके लिए बंद कर दिए गए हैं इतना ही नहीं, गांव की महिलाएं भी इस काम में पूर्ण सहयोग दे रही हैं। वे गांव के अलग-अलग प्रवेश स्थानों पर बैठकर चौकीदारी भी कर रही हैं और वहीं पुरुष रात के समय गांव की सुरक्षा के लिए पहरा दे रहे हैं। साथ ही साथ गांव के युवकों ने एक बड़ी ही अच्छी पहल की है। वे गांव के आसपास के क्षेत्रों में जाकर लोगों को कोरोना और लॉकडाउन के बारे में जागरूक कर रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी बता रहे हैं। खुपी गांव के निवासियों ने गांव को 'लॉक' करके अन्य गांव के लिए उदाहरण पेश किया है। उत्तराखंड के लोगों के बीच यही जागरूकता एक दिन कोरोना की जरूर ध्वस्त करेगी।


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