हे भगवान! भगवान केदारनाथ के गर्भगृह का वीडियो वायरल...भक्तों में आक्रोश
भगवान शिव के रूप में प्रख्यात बाबा केदार के धाम में स्थित गर्भ गृह का वीडियो सोशल मीडिया पर जम कर वायरल हो रहा है। इसको लेकर भक्तों के बीच नाराजगी देखी जा सकती है।
May 9 2020 8:54PM, Writer:अनुष्का
केदारनाथ बाबा के कपाट इस वर्ष भी निर्धारित तिथि, 29 अप्रैल को खुले, मगर परिस्थितियां बेहद अलग थीं। हर वर्ष परम्परागत तरीके से श्रध्दालुओं के बीच बाबा केदारनाथ के कपाट खोले जाते हैं मगर इस बार कपाट खोलने के दौरान वहां केवल समिति के सदस्य मौजूद थे। कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण भक्तों के मंदिर जाने में रोक लगाई गई है। इसी बीच केदारनाथ धाम से वीडियो खूब वायरल हो रही है जिसमें केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग गर्भगृह की पूजा-अर्चना करते हुए दिख रहे हैं। वीडियो देखने के बाद श्रद्धालुओं के बीच नाराजगी देखने को मिल रही है और वो इस चीज का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि गर्भ दर्शन के दौरान फोटो और वीडियो लेना पूर्ण रूप से वर्जित है। यहां तक कि यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को गर्भ गृह के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की सख्त मनाही होती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मंदिर समिति और प्रशासन से इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई। लोगों की बाबा केदार में अपार श्रद्धा है। इस बार लॉकडाउन के कारण श्रध्दालु बाबा केदार के दर्शन अभी तक नहीं कर पाए हैं।
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ऐसे में प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा गर्भ गृह की आरती की वीडियो लेना और उसे सोशल मीडिया पर साझा करना श्रध्दालुओं की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। बता दें कि मंदिर के रावल द्वारा गर्भ गृह में की जाने वाली बाबा केदारनाथ आरती की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसके बाद से भक्तों के बीच गुस्सा और नाराजगी साफ दिख रही है। रावल भीमाशंकर लिंग के उत्तराखंड पहुंचने के बाद उनको क्वारंटाइन कर लिया था जिस कारण वह केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर नहीं पहुंच पाए। वह दो मई की शाम को धाम पहुंचे। बीते तीन मई की सुबह उन्होंने गर्भगृह में पूजा की जिस दौरान उनके शिष्यों में से किसी ने वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दी जिसके बाद वह वायरल हो गई और भक्तों के बीच आक्रोश उत्पन्न हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीर्थ पुरोहित भगत राम बगवाड़ी ने भी समिति द्वारा बनाई गई वीडियो का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि केदारनाथ धाम की अपनी अलग धार्मिक महत्वता है। ऑनलाइन मंदिर दर्शन कराना मान्यताओं और पौराणिक परंपराओं के खिलाफ है और इससे भक्तों के दिल को चोट पहुंचना स्वाभाविक सी बात है। यह घटना मंदिर समिति और प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है।