उत्तराखंड: लॉकडाउन में अपने बच्चों को पढ़ाइए ‘घुघूती बासूती’..फ्री में ऐसे करें डाउनलोड
क्रिएटिव उत्तराखंड के टीम के सदस्यों ने "घुघूती बासूती" ई बुक की दूसरी किश्त बुधवार को इंटरनेट पर लॉन्च कर दी जिसमें गढ़वाली बालगीत और लोरियों का संकलन है। यह ई बुक मुफ्त में डाउनलोड करके पढ़ी जा सकती है। जानिए पूरी डिटेल..
May 11 2020 12:00PM, Writer:अनुष्का
गांव की याद किसको नहीं आती। पलायन कर चुके अधिकांश लोग अपने परिवारों के साथ इस समय शहरों में घुटन भरी जिंदगी जी रहे हैं। सबको अपना बचपन याद आता होगा। अपने बचपन की वो तमाम लोरियां याद आती होंगी जो दादी-नानी सुनाया करती थीं, वो सारे खेल याद आते होंगे जो सुबह से सांझ तक दोस्तों के साथ खेला करते थे। ईजा की घुघुती बासूती भी याद होगी। मगर अब जिंदगी बदल चुकी है। लोगों के ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ और भी कई परेशानियां आ गई हैं। गांव सूने पड़ चुके हैं, संस्कृति पीछे छूट चुकी है, वो तमाम लोक गीतों, लोरियों की याद भी धुंधली हो चुकी है। हर कोई चाहता है कि उत्तराखंड की बोलियां, वहां के तौर-तरीके, वहां की संस्कृति हमेशा अस्तित्व में रहें। आने वाली पीढ़ी उनको अपने साथ लेकर चले। मगर लोगों के पास कोई जरिया नहीं है। अगर हम आपको ये बताएं कि लॉकडाउन में अपने गांव से दूर रहकर शहरों में ही आप अपने बचपन की सैर कर सकते हैं, यादें ताजा कर सकते हैं, और तो और आपके द्वारा जिए गए वो अविस्मरणीय पल आप अपने बच्चों के साथ भी साझा कर सकते हैं तो आपको कैसा लगेगा? आगे पढ़िए..
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जी हां, क्रिएटिव उत्तराखंड के सदस्य और रंगकर्मी हेम पंत ने लॉकडाउन में उत्तराखंड के पारंपरिक बाल गीतों का संकलन तैयार किया है जिसमें लोरी, पर्वगीत, क्रीडागीत इत्यादी की कलेक्शन है। इस किताब की दो किश्ते हैं। पहले भाग में कुमाऊंनी बालगीतों का संकलन है वहीं बुधवार को रिलीज हुई दूसरे भाग में गढ़वाली बालगीतों का संकलन है। क्रिएटिव उत्तराखंड कुछ रचनात्मक युवाओं की एक टीम है जो इस समय विलुप्त हो रहे बाल गीतों को संकलित कर नई पीढ़ी तक पहुंचाने में जुटी हुई है। ई बुक के रूप में आई इस पुस्तक का नाम "घुघूती बसूती" रखा गया है। यह ई बुक ऑनलाइन उपलब्ध है और इसे मुफ्त में डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता है। इसके अब तक दो भाग लॉन्च हो चुके हैं जिसमें से दूसरा भाग हाल ही में बुधवार को सोशल मीडिया पर लॉन्च किया गया। आगे देखिए लिंक..
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इस पुस्तक में गढ़वाली और कुमाऊंनी बोलियों में बहुत सी लोरी, क्रीडागीत और पर्वगीत मौजूद हैं जो बच्चे बहुत चाव से पढ़ेंगे। चलिए आपको "घुघूती बासूती" पुस्तक को तैयार करने वाले लोग और क्रिएटिव उत्तराखंड की टीम से परिचित कराते हैं। गीतों को संकलित करा है हेम पंत ने, वहीं डिजाइन तैयार किया है विनोद सिंह गड़िया है। स्केच बनाने का श्रेय जाता है डॉ. गिरीश चन्द्र शर्मा को। तस्वीरों में अजय कन्याल ने योगदान दिया है तो वहीं चित्र बनाए हैं वसुधा, वत्सल और मीनाक्षी ने। इसकी पहली किश्त में कुमाऊं के प्रचलित 32 लोरी, कहावत और बाल गीतों को संकलित कर सोशल मीडिया पर लॉन्च किया था। इसकी दूसरी किश्त बुधवार को लॉन्च हुई जिसमें गढ़वाली बालगीतों का संकलन है। यह किताब आपको आपके बचपन की सैर कराएगी उसी के साथ-साथ आपके बच्चे भी इसे बहुत चाव से पढ़ेंगे। क्रिएटिव उत्तराखंड टीम का यह काम बहुत सराहनीय है। नीचे दिए गए लिंक से आप पुस्तक डाउनलोड कर सकते हैं।
http://TinyURL.com/Ebook-Uttarakhand-ChildrenSong