image: upendra  became an example of self employment

पहाड़ के उपेन्द्र जोशी ने खुद खड़ा किया मसालों का कारोबार, कई युवाओं को रोजगार से जोड़ा

6 साल पहले उपेंद्र के साथी रोजगार के लिए गांव छोड़कर पलायन कर गए। उपेंद्र के पास भी ये विकल्प था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आज उपेंद्र क्षेत्र के युवाओं के लिए स्वरोजगार की मिसाल बन गए हैं...
Jun 13 2020 9:40AM, Writer:कोमल नेगी

रोजगार के लिए भटक रहे युवाओं के लिए बागेश्वर के उपेंद्र जोशी मिसाल बन गए हैं। उपेंद्र ने पहाड़ी मसालों को रोजगार का जरिया बनाया। आज वो मसालों के लघु उद्योग से अच्छी आमदनी हासिल कर रहे हैं, साथ ही उनकी वजह से क्षेत्र के कई युवाओं को रोजगार भी मिला है। बागेश्वर जिले में एक सीमांत क्षेत्र है गरुड़। यहीं की स्यालाटीट तहसील के मटेना गांव में उपेंद्र जोशी और उनका परिवार रहता है। छह साल पहले उपेंद्र के साथी रोजगार के लिए गांव छोड़कर पलायन कर गए। उपेंद्र के पास भी ये विकल्प था, लेकिन उन्होंने गांव छोड़ने की बजाय यहीं रहकर कुछ करने की ठानी। उन्होंने क्षेत्र में मसाला उद्योग लगाने की सोची। योजना को धरातल पर उतारने के लिए उन्होंने आस-पास के गांवों से पहाड़ी हल्दी, मिर्च, धनिया, जीरा और तेजपत्ता खरीदा और गरुड़ में बिना किसी मदद के मसालों की बिक्री शुरू कर दी।

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देखते ही देखते पहाड़ी मसालों का जायका और सुगंध दूसरे क्षेत्रों तक पहुंचने लगी और उपेंद्र के यहां तैयार मसालों की डिमांड बढ़ने लगी। आज उपेंद्र गरुड़ के पुराने बाजार क्षेत्र में शुद्ध पहाड़ी मसालों का व्यवसाय कर रहे हैं। जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। उपेंद्र कहते हैं कि अगर हम मन में कुछ ठान लें तो पहाड़ जैसे अल्प संसाधनों वाली जगह पर भी खुशहाली पनप सकती है। पहाड़ में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है, जरुरत है तो सिर्फ उन्हें तलाशने की। स्वरोजगार से पलायन को मात देने वाले उपेंद्र युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं। अब वो अपने काम को और आगे बढ़ाना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकें।


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