गढ़वाल राइफल के लांसनायक बलवंत..62 की जंग में चीन से लड़े थे, फिर से दी चेतावनी
साल 1962 के युद्ध में चीन के खिलाफ लड़ चुके लांसनायक बलवंत सिंह कहते हैं कि अब उम्र इजाजत नहीं देती। अगर मैं शारीरिक रूप से फिट होता तो सेना से कहता कि हमें बुलाओ, इस धोखेबाज चीन को हम सबक सिखाएंगे...
Jun 18 2020 5:52PM, Writer:komal
15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने जो हरकत की, उसे लेकर पूरे देश में गुस्सा है। गलवान घाटी में हुई झड़प में देश ने अपने एक सैन्य अफसर समेत 20 जवान खो दिए। भारत ने इस घटना को लेकर चीन के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हर भारतवासी चाहता है कि चीन को इस हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। बात जब चीन से जुड़े विवाद की हो तो साल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध का जिक्र जरूर होता है। 58 साल पहले हुए इस युद्ध में सीमित संसाधनों के बावजूद भारतीय सेना ने चीन को कड़ा सबक सिखाया था। गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन के जवानों ने चीनी सैनिकों को नाकों चने चबवा दिए थे। बटालियन को 1962 के युद्ध में दो महावीर चक्र मिले थे। इस युद्ध में चीन के खिलाफ लड़ चुके सैनानियों में भी चीन के विश्वासघात को लेकर जबर्दस्त आक्रोश है। आगे जानिए बलंवत सिंह का क्या कहना है।
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साल 1962 के युद्ध में चीन के खिलाफ लड़ चुके लांसनायक बलवंत सिंह कहते हैं कि अब उम्र इजाजत नहीं देती। अगर मैं शारीरिक रूप से फिट होता तो सेना से कहता कि हमें बुलाओ, धोखेबाज चीन को हम सबक सिखाएंगे। बलवंत सिंह बिष्ट चमोली के सीमांत गांव घेस के रहने वाले हैं। साल 1962 की लड़ाई के बाद वो चीन में युद्धबंदी रहे थे। आज उनकी उम्र 80 साल है। बलवंत सिंह कहते हैं कि साढ़े पांच दशक पहले हुई लड़ाई के दौरान हमारे पास अच्छे हथियार नहीं थे। चीन के सैनिक संख्या में हमसे ज्यादा थे। हमें हथियार कंधे पर लादकर ले जाने पड़ते थे, लेकिन अब भारत के पास दुनिया के बेहतरीन हथियार हैं। हमारी सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक है। अब चीन को भारत की तरफ नजर उठाने की भूल नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि हमें घरेलू मोर्चे पर भी चीन को पटखनी देनी होगी। हमें चीन में बने हर सामान का बहिष्कार करना चाहिए, ऐसा कर के हम चीन को आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखा सकते हैं।