गढ़वाल के राजेन्द्र ने लिखी स्वरोजगार की नई इबारत..हाथों के हुनर ने दिलाई अलग पहचान
अगर आपको भी राजेन्द्र बंडवाल द्वारा बनाये गए रिंगाल के उत्पाद पसंद हैं और इसे मंगाना चाहते हैं.. तो आप सीधे सम्पर्क कीजिएगा..राजेंद्र बंडवाल- 8755049411
Jun 26 2020 8:41AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
लॉकडाउन का यह समय बेहद कठिन है। कोरोना वायरस खौफ के साथ-साथ और भी कई चीजें लाया है जिसमें बेरोजगारी भी एक है। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि इस समय पहाड़ों पर बेरोजगारी कितनी बड़ी समस्या है। सैकड़ों युवा इस समस्या से फिलहाल जूझ रहे हैं। कितनों के पास आय का अपना कोई साधन नहीं है। बड़ी तादाद में वे सब गांव की ओर लौट चुके हैं। ऐसे में जरूरत है कि वह स्वरोजगार के पथ की ओर अग्रसर हों। स्वरोजगार आज के समय मे बेहद जरूरी है या फिर हम यूं कहें कि स्वरोजगार ही एकमात्र ऐसा जरिया है जिससे पहाड़ों की किस्मत एक बार फिर से चमक सकती है और अर्थव्यवस्था वापस से पटरी पर आ सकती है। ऐसे में चमोली जिले के ग्राम किरुली के निवासी राजेंद्र बंडवाल स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक जोरदार मुहिम की शुरुआत कर बैठे हैं। उनकी इस मुहिम में काफी सारे युवा भी उनके साथ जुड़ चुके हैं।
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बता दें कि चमोली जिले के ग्राम किरुली के निवासी राजेंद्र बडवाल बेरोजगारों को हस्तशिल्प से जोड़कर उनको स्वरोजगार की राह में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनकी यह मुहिम बहुत शानदार और सराहनीय है। वह काफी समय से रिंगाल से हस्तशिल्प के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और उन्होंने अपने हुनर को केवल खुद तक सीमित नहीं रखा बल्कि अब वह युवाओं को भी रिंगाल से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। ताकि पहाड़ में रहकर उन सभी युवाओं को आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े। चमोली में स्वरोजगार को लेकर वैसे भी तो काफी अधिक क्रेज है मगर रिंगाल के उत्पादों का निर्माण काफी समय पहले ही बंद हो चुका है। पहाड़ों में तो रिंगाल के उत्पादों का निर्माण करना पुश्तैनी हुनर हुआ करता था मगर अब रिंगाल से निर्मित उत्पादों का निर्माण काफी समय पुरानी बात हो गई है। समय बदला और उसी के साथ साथ युवा इस पुश्तैनी हुनर को छोड़कर नौकरी के लिए शहरों की तरफ चले गए। पलायन के दौर में ऐसे में राजेंद्र बडवाल ने अपने इस पुश्तैनी कारोबार को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। वह अपने इस निर्णय से बेहद खुश हैं।
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वह कहते हैं कि उनको काफी अच्छी आमदनी भी होती है। शुरुआती दिनों में वह रिंगाल से परंपरागत कंडी, सुप्पा, आदि वस्तुएं तैयार करते थे जिसके बाद धीरे-धीरे करके उन्होंने नया प्रयोग किया और कलमदान, फूलदान, लैंप शेड, टोकरी, टोपी डस्टबिन आदि भी बनाना शुरु कर दिया। अपनी बनाई हुई इन हस्तशिल्प की वस्तुओं को वह हाईवे पर यात्रियों को बेचते हैं। इससे उनको काफी अच्छी आमदनी हो जाती है। वह खुद तो स्वरोजगार की राह पर अपना नाम ऊंचा कर चुके हैं मगर उसी के साथ वह तमाम युवाओं को भी रिंगाल से हस्तशिल्प की वस्तुएं तैयार करने का मुफ्त में प्रशिक्षण भी दे रहे हैं जिससे युवाओं को भविष्य में किसी भी तरीके की आर्थिक तंगी का सामना ना करना पड़े और वह स्वरोजगार अपना कर सुकून से जीवन यापन कर सकें। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी है। राजेंद्र कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं। वह लॉकडाउन के चलते वापस लौटे कई प्रवासी युवाओं को रोजगार से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देकर उनको रोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। अगर आपको भी राजेन्द्र बडवाल द्वारा बनाये गए रिंगाल के उत्पादों पसंद हो और इसे मंगाना चाहते हैं तो आप सीधे सम्पर्क कीजिएगा..राजेंद्र बंडवाल -- 87550 49411