गढ़वाल की देवेश्वरी..पति और बेटी को कुदरती कहर से बचाया, खुद मौत के मुंह में समा गई
देवेश्वरी को अनहोनी का अहसास हो गया था। उसने पति और बेटी को जगा कर उन्हें सुरक्षित जगह पर जाने को कहा, लेकिन खुद घर में फंस कर रह गई। देखते ही देखते देवेश्वरी का घर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया।
Jul 29 2020 3:02PM, Writer:Komal Negi
कहते हैं वक्त हर जख्म भर देता है, लेकिन सच ये है कि कुछ जख्म कभी नहीं भरते। इस बात को चमोली में आपदा के शिकार हुए परिवारों से बेहतर भला कौन समझ सकता है। पंडेर गांव में मंगलवार तड़के बादल फटने की वजह से गांव में रहने वाली देवेश्वरी देवी हादसे का शिकार हो गईं। देवेश्वरी के निधन के बाद परिवार में कोहराम मचा है। बच्चे बिलख रहे हैं। परिजनों ने ने बताया कि देवेश्वरी को अनहोनी का अहसास हो गया था। रातभर हुई बारिश के बीच देवेश्वरी देवी तड़के 3 बजे घर से बाहर निकलीं। उस वक्त उन्होंने गांव के समीप उफनाते नाले को देखा। जिससे देवेश्वरी बुरी तरह डर गईं, उसे पता था कि ये सैलाब उन्हें लील जाएगा। डरी हुई देवेश्वरी दोबारा घर के भीतर गई और पति और बेटी को नींद से जगाया। उसने उन्हें घर छोड़कर किसी सुरक्षित जगह पर चले जाने को कहा। ये सुन पति और बेटी तो कमरे से बाहर आ गए, लेकिन देवेश्वरी घर में ही फंस कर रह गईं। वो कमरे से बाहर निकलने ही वाली थी कि देखते ही देखते उनका घर मलबे में तब्दील हो गया और मलबे में दबने से देवेश्वरी की मौत हो गई। देवेश्वरी के पति रघुवीर सिंह ने बताया कि जिसने जान बचाने के लिए उन्हें जगाया उसी की हादसे में मौत हो गई। आगे पढ़िए
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हादसे के वक्त घर में रघुवीर, देवेश्वरी और उनकी 13 वर्षीय बेटी प्रीता मौजूद थीं। देवेश्वरी ने पति और बेटी की जान तो बचा ली, लेकिन खुद को नहीं बचा सकी। रघुवीर ने बताया कि हादसे के दौरान उनका 15 साल का बेटा प्रेम अपने दूसरे मकान में सो रहा था, जिससे उसकी जान बच गई। मंगलवार तड़के जंगल से आ रहे छोटे से गदेरे ने बादल फटने के बाद अचानक विकराल रूप धारण कर लिया और देखते ही देखते पूरे गांव में तबाही मच गई। रात में अंधेरा होने की वजह से कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। देवेश्वरी की मौत के बाद उसका परिवार गहरे सदमे में है। ग्राम प्रधान पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि देवेश्वरी का पति रघुवीर सिंह मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है। वो पिछले एक साल से बीमार है, जिस वजह से परिवार की जिम्मेदारी देवेश्वरी के कंधों पर आ गई थी। 28 जुलाई को हुए हादसे ने परिवार से ये सहारा भी छीन लिया। देवेश्वरी की मौत के बाद गांव में मातम पसरा है।