image: Difficulty of people in Pauri Garhwal

उत्तराखंड: सिस्टम के मुंह पर तमाचा है गढ़वाल का ये वीडियो..देखिए और अपनी बात रखिए

कितने शर्म की बात है कि पहाड़ के दूरस्थ गांवों से ऐसी तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और अफसरों की नींद नहीं टूट रही। वीडियो देखिए और अपनी राय रखिए
Aug 25 2020 8:30PM, Writer:Komal Negi

शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क...ये तीनों हमारी मूलभूत जरूरतों में शामिल हैं, पर पहाड़ में इन्हें हासिल करने के लिए लोगों को कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। कहने को गांवों में अस्पताल तो खुल गए है, पर अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं, ऐसे में लोग भला अस्पताल पहुंचें भी तो कैसे। ये तस्वीरें पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर क्षेत्र की हैं। पहाड़ में कैसा विकास हो रहा है, ये बात इन तस्वीरों को देखकर समझी जा सकती है। द्वारीखाल ब्लॉक के सबसे नजदीकी गांव चौरा की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। चौरा गांव के लोग 108 आपात सेवा के बारे में कुछ नहीं जानते। यहां आज भी बीमार और प्रसूता को डोली में बैठाकर ही अस्पताल लाना पड़ता है। देश को आजाद हुए सालों बीत जाने के बाद भी गांव को आज तक सड़क नसीब नहीं हो पाई।

यह भी पढ़ें - अभी अभी: उत्तराखंड में 485 लोग कोरोना पॉजिटिव..16 हजार के पार पहुंचा आंकड़ा
गांव तक सड़क बनी होती तो 108 आपात वाहन गांव में पहुंच जाता। बीमार को कंधे में ढोकर लाने की मजबूरी नहीं होती। 23 अगस्त को गांव में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब हो गई थी। सूचना मिलने पर गांव के युवा बुजुर्ग महिला के घर पहुंचे और कुर्सी की डोली बनाकर किसी तरह बीमार महिला को अस्पताल लेकर गए। युवाओं ने आपदा में ध्वस्त पैदल रास्तों पर कई किलोमीटर का थकान भरा सफर तय कर किसी तरह महिला को अस्पताल पहुंचाया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसमें गांव के युवा अपनी पीड़ा बयां करते दिखे। उत्तराखंड को अलग राज्य बने 20 साल हो गए। इस दौरान बीजेपी की सरकार भी आई और कांग्रेस की भी। वोट मांगने के लिए नेता तो गांव में पहुंचते हैं, लेकिन सड़कें आज तक गांवों में नहीं पहुंच पाई। यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधायक ऋतु खंडूरी भूषण करती हैं, जबकि द्वारीखाल के ब्लॉक प्रमुख पद पर महेंद्र राणा काबिज हैं। आगे देखिए वीडियो

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: 2022 चुनाव से पहले AAP की टेंशन, 2 नेताओं ने लगाए गंभीर आरोप..देखिए वीडियो
हैरानी की बात है कि ब्लॉक के सबसे नजदीकी गांव में आज तक सड़क नहीं पहुंची, और इन दोनों का अब तक इस समस्या की तरफ ध्यान ही नहीं गया। चौरा गांव के युवाओं ने बताया कि मरीजों को कंधे पर ढोकर ले जाना उनकी नियति बन गई है। इन दिनों लॉकडाउन के चलते ज्यादातर युवा घर लौट आए हैं, इसलिए मदद मिल जाती है, लेकिन जब ये काम-धंधों पर वापस लौट जाएंगे, तब मरीजों को कैसे अस्पताल पहुंचाया जाएगा। गांवों और कस्बों में सड़क-अस्पताल ना होने से मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी रहती है। ग्रामीण सड़क नहीं होने के कारण रोगियों और बीमार लोगों को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं। कितने शर्म की बात है कि पहाड़ के दूरस्थ गांवों से ऐसी तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और अफसरों की नींद नहीं टूट रही। आगे आपको चौरा गांव का वीडियो दिखाते हैं, इसे देखकर आप गांव वालों की तकलीफ का अंदाजा खुद लगा सकते हैं।

सब्सक्राइब करें -


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home