रुद्रप्रयाग के दो युवा लॉकडाउन में घर लौटे, घर से शुरू किया चप्पल बनाने का बिजनेस..अब मुनाफा
लॉकडाउन में नौकरी गंवा चुके दो युवाओं ने जखोली में चप्पल बनाने का कारोबार शुरू किया और आज उनकी कोशिश सफल व्यवसाय का रूप ले चुकी है। जानिए इनकी कहानी...
Sep 12 2020 3:31PM, Writer:Komal Negi
कहते हैं हर बात के दो पहलू होते हैं अच्छे और बुरे। अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा पहलू देखना चाहते हैं। कोरोना काल के साथ भी कुछ ऐसा ही है। अचानक आई आपदा ने हजारों लोगों का रोजगार छीन लिया तो वहीं इसी आपदा की वजह से पहाड़ के युवा अब स्वरोजगार की तरफ मुड़ने लगे हैं। स्वरोजगार से सफलता का सफर तय कर रहे हैं। स्वरोजगार की ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी रुद्रप्रयाग जिले से आई है। जहां नौकरी गंवा चुके दो युवाओं ने चप्पल बनाने का कारोबार शुरू किया और आज उनकी कोशिश सफल व्यवसाय का रूप ले चुकी है। रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखंड में एक गांव है बुढ़ना। रुपेश सिंह गहरवार और प्रवींद्र राणा इसी गांव में रहते हैं। लॉकडाउन से पहले रुपेश और प्रवींद्र बाहरी राज्यों में काम करते थे, लेकिन मार्च में अचानक लॉकडाउन लगा और इन दोनों की नौकरी चली गई। रोजगार का जरिया नहीं रहा तो ये दोनों गांव लौट आए। कुछ दिन ऐसे ही गुजरे बाद में दोनों ने सोचा कि क्यों ना शहर के धक्के खाने की बजाय अपना व्यवसाय शुरू किया जाए। आगे पढ़िए
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रुपेश और प्रवींद्र ने पारंपरिक व्यवसाय की बजाय चप्पल बनाने का व्यवसाय शुरू करने की प्लानिंग की, लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था। दोनों के पास संसाधनों का अभाव था। खैर रुपेश और प्रवींद्र ने किसी तरह 3 लाख रुपये की रकम जुटाई और फतेड़ बाजार में चप्पल बनाने वाली मशीनें लगा डालीं। शुरुआती दिनों में लोगों को उनका चप्पल बनाने का आइडिया थोड़ा अजीब लगा, लेकिन जब धंधा चल निकला तो लोग भी उनका हौसला बढ़ाने लगे। रुपेश और प्रवींद्र बताते हैं कि उन्होंने अगस्त में अपना व्यवसाय शुरू किया, जिसमें अच्छा मुनाफा हो रहा है। अब तक पहाड़ के लोग चप्पलों के लिए मैदानी बाजारों पर निर्भर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में चप्पल का कारोबार शुरू होने के बाद उन्हें अपने गांव में बनी चप्पलें पहनने को मिलने लगी हैं। रुपेश बताते हैं कि वो हाइड्रोलिक मैन्युअल मशीन से हर दिन लगभग दो सौ चप्पलें तैयार करते हैं। इन्हें बाजार में उचित कीमत पर बेचते हैं। जैसे-जैसे प्रोडक्शन में बढ़ोतरी होगी, वो क्षेत्र के दूसरे बेरोजगारों को भी रोजगार देंगे। स्थानीय लोगों को भी कारोबार से जोड़ा जाएगा