image: State fair will be held in the name of Jaswant Singh Rawat

उत्तराखंड शहीद जसवंत रावत के नाम पर हर साल होगा राजकीय मेला..बीरोंखाल में बनेगा स्मारक

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा अमर शहीद को याद करते हुए दो अहम घोषणाएं की गई हैं। आगे पढ़िए पूरी खबर
Sep 28 2020 6:44PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड के गौरवशाली सैनिक शहीद जसवंत सिंह रावत....... यह नाम जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। जसवंत सिंह रावत उन सैनिकों में से एक थे जो बेहद पराक्रमी निडर और शूर्यवीर थे। जिन्होंने मरते दम तक अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए दुश्मनों को धूल चटाई है। महज 21 वर्ष के जसवंत रावत ने अकेले चाइना के 300 सैनिकों से लोहा लिया और दुश्मनों को जान से मार दिया था। महावीर चक्र विजेता महान पराक्रमी अमर शहीद जवान जसवंत सिंह आज उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि पूरे देश की शान भी हैं। उनका नाम उन सैनिकों की सूची में शुमार है जिन्होंने बिना किसी की परवाह किए एक सच्चे सैनिक की तरह अपने प्राणों की आहुति दे दी और देश के लिए जान न्योछावर कर दी। 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में अकेले 300 चीनी सैनिकों से लोहा लेने वाले और उन को मौत के घाट उतारने वाले महावीर शहीद जसवंत सिंह रावत की पुण्य तिथि के अवसर पर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा अमर शहीद को याद करते हुए दो अहम घोषणाएं की गई थी। वो सरकार द्वारा पूरी की गई हैं। आगे पढ़िए

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सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली घोषणा यह की है की बीरोंखाल में आयोजित होने वाले महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह रावत शहीद मेले को अब राजकीय मेला घोषित कर दिया जाएगा। जी हां, यह बेहद गर्व की बात है कि राजकीय मेले का नाम अब शहीद पराक्रमी अमर जसवंत सिंह रावत के नाम पर रहेगा। इसी के साथ उनके जन्म स्थान और पैतृक गांव बाड्यूं में विकासखंड बीरोंखाल में उनके नाम का भव्य शहीद स्मारक का निर्माण भी किया जाएगा और इसी के साथ उन्हीं के नाम का एक खेल मैदान का निर्माण कार्य को भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा स्वीकृति दे दी गई है। मुख्यमंत्री रावत ने यह दोनों प्रमुख घोषणाएं अपने फेसबुक के वॉल पर साझा की। उन्होंने महावीर चक्र विजेता एवं महान पराक्रमी शहीद जसवंत सिंह रावत को याद करते हुए लिखा कि वह महज उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि पूरे देश के गौरव हैं। आगे जानिए उनकी कहानी

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माना जाता है कि महज 21 वर्ष की उम्र में 1962 के युद्ध में अकेले 300 सैनिकों को ध्वस्त कर उनको मौत के घाट उतारने वाले अमर शहीद जसवंत सिंह रावत आज भी अमर हैं और उनकी सेवा में सेना के 5 जवान 24 घंटे लगे रहते हैं। केवल यही नहीं बल्कि रोजाना उनके जूतों पर भी पॉलिश की जाती है और उनके कपड़े भी प्रेस होते हैं। महज 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने 300 चीनी सैनिकों को अकेले ढेर कर दिया था। 19 अगस्त 1960 को जसवंत को सिंह रावत को आर्मी में राइफलमैन के पद पर शामिल कर लिया गया। 1962 में हुए चीन के युद्ध में वे चीनी सेना के बंकर के करीब जा पहुंचे और महज 15 यार्ड की दूरी से ही हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए उन्होंने चीनी सेना के कई सैनिकों को मार गिराया। शहीद जसवंत रावत को दुश्मनों ने घेर लिया मगर वे डरे नहीं और उन्होंने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए अकेले 300 सैनिकों से लोहा लिया। जसवंत सिंह रावत भारतीय सेना के अकेले ऐसे सैनिक हैं जिनको मौत के बाद भी प्रमोशन मिलता रहा है। वे पहले नायक, कैप्टन और अब मेजर जनरल के पद पर पहुंच चुके हैं और उनके परिजनों को भी हर महीने की पूरी सैलरी पहुंचाई जाती है। वहीं वह रहने वाले जवानों और स्थानीय लोगों का यह मानना है कि जसवंत सिंह रावत की आत्मा आज भी भारत की पूर्वी सीमा की रक्षा कर रही है। उनके नाम से नूरानांग में जसवंतगढ़ नाम का एक बड़ा स्मारक भी बनाया गया है जहां शहीद के हर सामान को संभाल कर रखा गया है।


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