उत्तराखंड में दिखा वो दुर्लभ जीव, जिसे देखकर खुश हैं दुनियाभर के जीव वैज्ञानिक
खतरनाक शिकारी के रूप में मशहूर चुथरौल को यलो थ्रोटेड मार्टिन भी कहा जाता है। ये दुर्लभ प्रजाति का जीव है। उत्तराखंड के जंगलों में इसकी उपस्थिति से वन्यजीव विशेषज्ञ उत्साहित हैं।
Sep 30 2020 6:31PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र और जंगल दुर्लभ जीवों का घर हैं। प्रदेश में जैव विविधता के लिहाज से अच्छे संकेत मिल रहे हैं। अगस्त में उत्तरकाशी के गंगोत्री नेशनल पार्क में अति दुर्लभ जीवों में शामिल उड़न गिलहरी या फ्लाइंग स्क्विरल देखी गई थी, अब एक अच्छी खबर नैनीताल के रामनगर क्षेत्र से आई है। रामनगर के जंगल में अति दुर्लभ प्रजाति का जंगली जानवर चुथरौल देखा गया। खतरनाक शिकारी के रूप में मशहूर चुथरौल को यलो थ्रोटेड मार्टिन भी कहा जाता है। ये दुर्लभ प्रजाति का जीव है। उत्तराखंड के जंगलों में इसकी उपस्थिति से वन्यजीव विशेषज्ञ उत्साहित हैं। जंगल में रहने वाले शिकारी जानवर चुथरौल या यलो थ्रोटेड मार्टिन को हाल में रामनगर में देखा गया। इस दुर्लभ प्रजाति के जानवर को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने अपनी रेड लिस्ट में शामिल किया है। पीले और भूरे रंग का दिखने वाला चुथरौल छोटा जानवर जरूर है, लेकिन खतरनाक शिकारी है। आमतौर पर ये दो से चार के झुंड में रहते हैं। आगे जानिए इनकी खूबियां
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ये अपने से पांच गुना बड़े शिकार को मारने से भी नहीं हिचकते। पिछले साल ढिकाला की सांभर रोड पर भी इन्हें देखा गया था। तब चुथरौल का झुंड एक बंदर का शिकार कर रहा था। उस वक्त चुथरौल के शिकार का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। येलो थ्रोटेड मार्टिन को खतरनाक शिकारी जानवर माना जाता है, जो अपने शिकार को नोंच-नोचकर मार डालता है। ये आमतौर पर इलाके बनाकर रहना पसंद करते हैं। शिकार करने के लिए चुथरौल एक ही दिन में 10 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं। इन्हें जमीन के अलावा पेड़ों पर भी शिकार करते देखा गया है। चुथरौल पेड़ों पर आसानी से चढ़ जाते हैं और 8-9 मीटर तक छलांग भी लगा सकते है। इन्हें कॉर्बेट और सीतावनी के जंगलों में भी देखा गया है। माहिर शिकारी माना जाने वाला चुथरौल आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। लगातार शिकार होने की वजह से इनकी संख्या कम हो रही है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने इस दुर्लभ जीव को अपनी रेड लिस्ट में शामिल किया है, ताकि इसके संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें।