image: Man eater leopard hunt in Almora

उत्तराखंड: शार्प शूटर की गोली से ढेर हुआ आदमखोर गुलदार, 300 गज की दूरी से साधा निशाना

मशहूर शूटर लखपत सिंह रावत की निगरानी में उनके शागिर्द अली अदनान ने गुलदार पर दो निशाने साधे। गोलियां लगने के बाद दर्द से कराह रहा गुलदार पहाड़ी के पास जा छिपा।
Oct 7 2020 10:21AM, Writer:Komal Negi

अल्मोड़ा के भिकियासैंण में 7 साल की मासूम दिव्या की जान लेने वाले गुलदार को गोली मार दी गई। मशहूर शूटर लखपत सिंह रावत की निगरानी में उनके शागिर्द अली अदनान ने तेंदुए पर दो निशाने साधे। उन्होंने 300 गज की दूरी से गुलदार को गोली मारी। जो कि उसकी पीठ और कंधे को पार कर गई। गोलियां लगने के बाद दर्द से कराह रहा गुलदार ढलान वाली पहाड़ी की झाड़ियों में जा घुसा। घायल होने के बाद गुलदार आक्रामक हो सकता है, लोगों पर हमला कर सकता है। इसे देखते हुए वन विभाग ने पूरे इलाके में अलर्ट घोषित किया है। मौके पर 13 सदस्यों की निगरानी टीम को तैनात किया गया है। गुलदार की मौत के बाद उसके शव को पशु चिकित्सालय ले जाया जाएगा। अल्मोड़ा के लोग आदमखोर के खात्मे का इंतजार कर रहे हैं और ये इंतजार जल्द ही खत्म होने वाला है। आपको बता दें कि बीते 19 सितंबर को गुलदार ने बाड़ीकोट में घर से कुछ दूर खेल रही सात साल की मासूम को अपना निवाला बना लिया था। डेढ़ घंटे बाद बच्ची की लाश झाड़ियों के पास से बरामद हुई। गुलदार के हमले में तीन अन्य बच्चे बाल बाल बचे थे। आगे पढ़िए

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स्थानीय लोग गुलदार के खात्मे की मांग कर रहे थे। बाद में डीएफओ महातिम सिंह यादव कि सिफारिश पर 23 सितंबर को गुलदार को आदमखोर घोषित किया गया। गुलदार के खात्मे के लिए देहरादून से जहीर बख्शी समेत 5 शिकारी बुलाए गए, लेकिन गुलदार सबको छकाता रहा। बीते 2 अक्टूबर को विशेषज्ञ शूटर लखपत सिंह भंडारी ने गढ़वाल से कुमाऊं पहुंचकर मोर्चा संभाला। उनके साथ बिजनौर निवासी राष्ट्रीय निशानेबाज अली अदनान भी थे। यहां लेपर्ड कॉरिडोर में गुलदार को उसी जगह गोली मारी गई, जहां पर बच्ची का शव मिला था। करीब 300 से 350 गज की दूरी से शिकारी अदनान ने दो गोलियां गुलदार पर दागी। शिकारी अदनान का ये पहला शिकार है। वो साल 2007 से अधिकृत शिकारी के तौर पर काम कर रहे हैं। अल्मोड़ा जिले में पिछले पांच साल में 21 लोग गुलदार के हमले में जान गंवा चुके हैं। जिले को गुलदार के आतंक से जल्द ही निजात मिल जाएगी, लेकिन पिथौरागढ़, हल्द्वानी, पौड़ी और रुद्रप्रयाग जैसे कई पहाड़ी जिलों के लोग अब भी आदमखोर गुलदारों के खात्मे का इंतजार कर रहे हैं।


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