उत्तराखंड: उल्लू की रक्षा के लिए फील्ड स्टाफ की छुट्टी रद्द..तंत्र-मंत्र के नाम होता है बेजुबान का कत्ल
दिवाली नजदीक आते ही उल्लू को लक्ष्मी का वाहन मान मौत के घाट उतार दिया जाता है। तंत्र-मंत्र के लिए उल्लू की बलि दी जाती है। ऐसे में उल्लुओं की जान बचाने के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने खास इंतजाम किए हैं।
Nov 12 2020 7:29PM, Writer:Komal Negi
दिवाली का त्योहार आ गया है। लोग खुशियां मना रहे हैं, लेकिन हंसी-खुशी के इस माहौल में एक जीव है जिसे अपनी जान की चिंता सता रही है। ये जीव है उल्लू। जिसे मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। तमाम रोक-टोक के बावजूद लोग पटाखों के कर्कश धमाके से वन्य जीवों की जान से खेल रहे हैं। पटाखों के शोर से पक्षियों ही नहीं हिरण तक की मौत हो जाती है। यही नहीं दिवाली नजदीक आते ही उल्लू को लक्ष्मी का वाहन मान मौत के घाट उतार दिया जाता है। नैनीताल स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में दीपावली पर उल्लुओं के शिकार का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में उल्लू की जान बचाने के लिए सीटीआर प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं। फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसिल कर दी गई हैं। दिवाली पर उल्लू के शिकार के लिए शिकारी जंगल में घुसपैठ कर सकते हैं। ऐसे में पांच दिनों तक विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। रामनगर में फील्ड कर्मचारी ड्रोन कैमरे के साथ पैदल गश्त कर जंगल की निगहबानी करेंगे। हिंदू मान्यता के अनुसार उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। आग पढ़िए
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दिवाली पर कई लोग मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए उल्लू को पकड़ कर उसकी पूजा करते हैं, तो कई लोग तंत्र-मंत्र के लिए इनकी बलि तक दे देते हैं। दिवाली नजदीक आते ही जंगलों में शिकारियों की घुसपैठ बढ़ जाती है। उल्लुओं की जान पर बन आती है। सिर्फ उल्लू ही नहीं इन दिनों बाघ के शिकार का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि कर्मचारी दिवाली में व्यस्त रहते हैं। शिकारी कर्मचारियों की व्यस्तता का फायदा उठाकर जंगल में घुसपैठ कर सकते हैं। ऐसी किसी भी संभावना को रोकने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने जंगल में गश्त करने वाले फील्ड स्टाफ की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। 15 नवंबर तक उन्हें कोई अवकाश नहीं मिलेगा। जो कर्मचारी जहां गश्त कर रहा है, वहीं रहेगा। संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी भी की जा रही है।