image: Two teachers decorated primary school Dharkot

गढ़वाल की दो शिक्षिकाओं का बेमिसाल काम..लॉकडाउन में बदली बदहाल स्कूल की सूरत

धारकोट के सरकारी स्कूल की शिक्षिकाओं ने साबित कर दिया कि अगर हर शिक्षक अपने काम को नौकरी से ज्यादा जिम्मेदारी समझे तो स्कूलों की दशा और दिशा बदलते देर नहीं लगेगी।
Nov 18 2020 11:33AM, Writer:Komal Negi

‘मेरा विद्यालय, मेरा गौरव’। धारकोट प्राथमिक स्कूल की दीवार पर लिखी इस पंक्ति को यहां की दो शिक्षिकाओं ने अपने जीवन में उतार लिया। साफ-सुथरे क्लासरूम, सामाजिक संदेशों से सजी दीवारें और स्वच्छ स्कूल परिसर। ये तस्वीरें यमकेश्वर के प्राथमिक विद्यालय की हैं। कहने को ये सरकारी स्कूल है, लेकिन पढ़ाई और सुविधाओं के मामले में प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देता है। धारकोट के प्राथमिक विद्यालय का ये कायाकल्प देखकर आप भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकेंगे। स्कूल की हालत में ये बदलाव कैसे हुआ, चलिए बताते हैं। स्कूल के कायाकल्प का श्रेय यहां की दो शिक्षिकाओं को जाता है। इन दोनों शिक्षिकाओं ने लॉकडाउन में ना सिर्फ अपने शिक्षक होने का फर्ज निभाया, बल्कि विद्यालय को एक आदर्श रूप देने में भी मदद की। आगे पढ़िए

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आज ये दोनों अपनी मेहनत और लगन के बूते पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं, लोगों की सराहना पा रही हैं। यमकेश्वर ब्लॉक में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय धारकोट की हालत भी पहले दूसरे सरकारी स्कूलों की तरह हुआ करती थी। प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिका सुनीता नेगी स्कूल की हालत सुधारना चाहती थीं, इसे बेहतर बनाना चाहती थीं, लेकिन ना तो समय था और ना ही संसाधन। तभी मार्च में लॉकडाउन लग गया। सभी शिक्षक घर लौट गए। रेखा शर्मा और सुनीता नेगी के पास भी ये विकल्प था, लेकिन इन दोनों ने इस समय का इस्तेमाल स्कूल की हालत सुधारने में किया। जून में इन्होंने स्कूल का सौंदर्यीकरण कराया। इसके लिए सरकार द्वारा दी गई अनुदान राशि का इस्तेमाल किया, अपने स्तर से भी संसाधन जुटाए। आज इनकी मेहनत को पूरा क्षेत्र सलाम कर रहा है। आगे पढ़िए

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प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा बताती हैं कि हमें सरकार से जो अनुदान मिला उससे हमने स्कूल की हालत सुधारी। बाद में रूपांतरित विद्यालय कायाकल्प योजना के तहत हमें अनुदान मिला। इससे स्कूल में कई काम कराए गए। स्कूल के लिए सरकार द्वारा 2 लाख 80 हजार रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था। इस वक्त धारकोट स्कूल में 30 बच्चे अध्ययनरत हैं। स्कूल में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर पूरा ध्यान दिया जाता है। प्रधानाध्यापिका और सहायक अध्यापिका के बीच बेहतर आपसी तालमेल के चलते ये स्कूल पूरे प्रदेश में शिक्षा और सौंदर्यीकरण की आदर्श मिसाल बन गया है। लोग इन दोनों शिक्षिकाओं की मेहनत को सराह रहे हैं, इन्हें सलाम कर रहे हैं। राज्य समीक्षा की टीम की तरफ से इन दोनों ही शिक्षिकाओं को साधुवाद


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