image: Historical Jail of Pauri Garhwal

गढ़वाल में मौजूद है वो ऐतिहासिक जेल, जहां आज भी दिखती हैं 19 ओखलियां और 3 चराटें

पौड़ी गढ़वाल के डूंगरा गांव में अंग्रेजी हुकूमत के दौर की एक जेल अभी भी अस्तित्व में है। इस कैदखाने में आजादी से पूर्व भारतीय कैदियों के साथ टॉर्चर किया जाता था
Dec 1 2020 3:44PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड राज्य के इतिहास को खंगाल के देखने पर कई ऐसी अनोखी चीजें और स्थान मिलेंगे जो कई वर्षों से अस्तित्व में हैं मगर हमारी नजरों से ओझल हैं। धीरे-धीरे समय के साथ ये जगहें सबके सामने आ रही हैं और उत्तराखंड के लोग इनसे रूबरू हो रहे हैं। राज्य के अंदर मौजूद कई सौ वर्षों से अस्तित्व में रहीं ये जगहें अपने अंदर एक पूरी गाथा समेटे हुई हैं। समय के साथ सब कुछ धीरे-धीरे बदलता गया मगर उत्तराखंड में अब भी कई ऐसी जगहें मौजूद हैं जिनके अंदर कोई बदलाव नहीं आया है। वे अब भी वैसी की वैसी ही हैं जैसी सालों पहले हुआ करती थीं। आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी ही ऐतिहासिक जगह से रूबरू कराने वाले हैं जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। यह जगह कई वर्षों से अस्तित्व में है और इस जगह से एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पहलू जुड़ा हुआ है। इसके लिए चलिए हम आपको इतिहास की सैर कराते हुए कई वर्षों पूर्व ले जाते हैं। भारत की गुलामी का वह काला और अविस्मरणीय समय..... वह समय जो देश के लिए बहुत मुश्किल था। अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के ऊपर अपना वर्चस्व कायम कर लिया था। अंग्रेजों ने भारतीयों पर बहुत अधिक जुल्म किए। जब भारत उनके अधीन था तब वे अपनी मनमर्जी करके लोगों के ऊपर जुल्म करते थे और उनको टॉर्चर करने के अलग- अलग तरीके अपनाते थे। वे बर्बरता से पकड़ कर भारतीयों को जेल में डाल कर उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे, तानाशाही अपने चरम पर थी।

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अंग्रेजों द्वारा निर्मित किए गए जेल की बात करें तो जेल के अंदर भी कैदियों को टॉर्चर करने का और उनके ऊपर जुल्म करने का बहुत ही क्रूर तरीका होता था। उत्तराखंड में भी ऐसे जेल, ऐसी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं जो कि आजादी के समय में इस्तेमाल में लाए जाती थीं और उनका प्रयोग भारतीयों को टॉर्चर करने के लिए किया जाता था। एक ऐसा ही कैदखाना उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के अंदर में स्थित है। आज हम आपको उसी कैदखाने के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। पौड़ी गढ़वाल के डूंगरा गांव में अंग्रेजी हुकूमत और इतिहास की एक धरोहर अभी भी अस्तित्व में है और इतिहास को दर्शा रही है। पौड़ी गढ़वाल में देखने में हवेली जैसे लगने वाला एक आलीशान भवन अब भी अस्तित्व में है। अंग्रेजों के शासन के समय यह अंग्रेजों का जेल हुआ करता था। यह क्षेत्र तत्कालीन समय में देवलगढ़ में आता था और उस समय इसके अंदर 11 कमरों की जेल हुआ करती थी।

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अब जेल का रूप एक हवेली ने ले लिया है मगर तब भी इसके अंदर ध्यान से देखने पर कई चीजें ऐसी मिलेंगी जिससे यह साबित होता है कि यह जेल अंग्रेजों के समय भारतीयों के ऊपर टॉर्चर करने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती थी। उस समय इस जेल के अंदर 11 कमरे थे मगर समय के चलते अन्य हिस्से खंडहर का रूप ले चुके हैं। अब इसके अंदर केवल तीन ही कमरे बचे हैं। क्या आप जानते हैं कि अंग्रेज इस हद तक क्रूर थे कि वह कैदियों को उनके पैरों पर खड़ा भी नहीं होने देते थे। यह हम नहीं इस पूरे जेल की बनावट कह रही है। इस बात का अंदाजा इस जेल को देखकर लगाया जा सकता है। इस कैदखाने में व्यक्ति के अंदर खड़े रहने की जगह तक नहीं है इसका अर्थ है कि उनको घुटनों के बल अपनी सजा काटनी पड़ती होगी। इस भव्य भवन के बाहर एक बड़ा सा पत्थर भी है। जिसपर आज भी 19 ओखलियां और 3 चराटें हैं। अंग्रेज कैदियों से इनपर अनाज कुटवाया करते थे। ऐसी अनगिनत जगहें राज्य में मौजूद हैं जो इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। जरूरी है कि ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण हो ताकि आने वाली पीढ़ी भी आजादी से पूर्व की इन व्यवस्थाओं से रूबरू हो पाए।


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