गढ़वाल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को बधाई..ढूंढ निकाला 5000 करोड़ साल पुराना जीवाश्म
हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों की टीम ने केमेथेरियम नामक जीव के जीवाश्म खोज निकाले हैं। यह जीवाश्म 5000 करोड़ साल पुराना बताया जा रहा है।
Dec 8 2020 2:20PM, Writer:Komal Negi
गढ़वाल के श्रीनगर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। श्रीनगर के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। श्रीनगर गढ़वाल के वैज्ञानिकों द्वारा केमेथेरियम नामक एक स्तनपाई जंतु के जीवाश्म की खोज की गई है। यह जंतु 5000 करोड़ वर्ष अस्तित्व में रहा होगा और यह जीवाश्म भी 5000 करोड़ साल पुराना बताया जा रहा है। यह खोज हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा गुजरात में की गई है। वैज्ञानिकों ने इस जीवाश्म के बारे में कई रोचक तथ्य बताए। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लुप्त हो चुका जंतु गधा, हिरण, गेंडा और घोड़े का पूर्वज रह चुका है। इसी लुप्त हुए जंतु के जीवाश्म वैज्ञानिकों को मिले हैं। हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लुप्त हो चुके जंतुओं के हड्डियों के साक्ष्य मिलने के बाद इस जंतु का चित्रण किया और इसका नाम केमेथेरियम रखा गया। इसका वजन लगभग 20 किलो बताया जा रहा है। ऊंचाई लगभग 1 फीट और लंबाई लगभग 2 फीट के लगभग रही होगी। गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक राजेंद्र सिंह राणा की टीम को इस जंतु के बारे में गुजरात की खानों से पता लगा।
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भूवैज्ञानिक राजेंद्र सिंह राणा अपनी टीम के साथ रिसर्च के लिए गुजरात पहुंचे थे। शुरुआती समय में टीम को इस जंतु का जबड़ा मिला था और खोजबीन करने के बाद अन्य शरीर अंगों की हड्डियां भी मिलीं। हड्डियों को जोड़ने के बाद केमेथेरियम नामक जंतु का ढांचा तैयार किया जा सका और ढांचे के तैयार होने के बाद उसका चित्रण भी कर लिया गया है। केमेथेरियम 5000 करोड़ साल पुराना बताया जा रहा है। भूवैज्ञानिक राजेंद्र सिंह राणा और उनकी टीम ने इस जंतु की खोज की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस जंतु की उत्पत्ति 5000 करोड़ वर्ष पूर्व रही होगी। यह, घोड़े, गधों, हिरणों और गेंडों का पूर्वज माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके बाद ही इन सभी जानवरों ने अपना आधुनिक रूप पाया। गढ़वाल विश्वविद्यालय के डीन ऑफ अर्थ साइंस राजेंद्र सिंह राणा ने बताया के घोड़े, गधे, हिरण और गेंडों का पूर्वज क्या केमेथेरियम ही था। मिले गए केमेथेरियम की हड्डियों के ढांचे पर अभी और रिसर्च चल रही है और हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के वैज्ञानिक गहराई से केमेथेरियम की हड्डियों के ढांचे को स्टडी कर रहे हैं। इस जंतु की खोज विकास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण तो है ही, इसी के साथ उत्तराखंड के वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी है।