उत्तराखंड: इस जिले में मिलेगा भांग की खेती का लाइसेंस..तैयार होंगे कपड़े, दवाएं और अन्य उत्पाद
पौड़ी और चंपावत के बाद अब बागेश्वर में भी भांग की वैध खेती शुरू होने जा रही है। एक कंपनी ने भांग की खेती के लिए आवेदन किया है। खेतों में उगने वाली भांग से कपड़े और दवाईयां तैयार होंगी।
Dec 8 2020 1:59PM, Writer:Komal Negi
भांग। एक ऐसा पौधा जो आमतौर पर नशे के लिए बदनाम है, लेकिन इस पौधे में कई औषधीय गुण भी हैं। अब तो यूएन ने भी भांग की मेडिशनल वेल्यू को मान्यता दे दी है। भांग यूएन की लिस्ट-4 से बाहर हो गया है। बात करें उत्तराखंड की तो यहां कई जगह भांग की कानूनी रूप से खेती शुरू हो गई। पहले पौड़ी में भांग की खेती का पहला लाइसेंस जारी हुआ, फिर चंपावत में भांग की खेती शुरू हुई और अब जल्द ही बागेश्वर जिले में भी भांग की खेती का पहला लाइसेंस जारी होने वाला है। शासन बागेश्वर में भांग की खेती के लिए लाइसेंस जारी करने वाला है। एक कंपनी ने इसके लिए आवेदन किया है। इस तरह अब बागेश्वर जिले में भी वैध तरीके से भांग की खेती की जा सकेगी। लाइसेंस मिलने के बाद कानूनी तौर पर भांग की खेती शुरू की जा सकती है, लेकिन अवैध रूप से भांग की खेती करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन का अभियान जारी रहेगा। जो काश्तकार भांग की खेती करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए सबसे पहले लाइसेंस लेना होगा। खेती के लिए शर्त ये है कि भांग के बीज में टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल यानी नशे का स्तर 0.3 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। आगे पढ़िए
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नशे के स्तर की जांच जिला प्रशासन करेगा। जो लोग भांग की खेती करना चाहते हैं, उन्हें करना क्या होगा, ये भी जान लें। किसान को जमीन का प्रस्ताव तैयार करना होगा। आवेदन के बाद आबकारी विभाग क्षेत्र का निरीक्षण करेगा। उसके बाद लाइसेंस जारी किया जाएगा। इस वक्त उत्तराखंड में भांग के रेशे से कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। भांग के बीज का इस्तेमाल चटनी और मसाले में किया जाता है। अब यहां वैध रूप से भांग की खेती होने लगी है, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। बागेश्वर में हिमालयन मोंक कंपनी ने भांग की खेती के लिए आवेदन किया है। पहले चरण में कंपनी गरुड़ ब्लॉक के भोजगण में 30 नाली क्षेत्र में भांग की खेती करेगी। बाद में इसे 3 हेक्टेयर भूमि पर उगाने का प्रस्ताव है। खेतों में उगने वाली भांग से कपड़े और दवाईयां तैयार होंगी। इसके तेल का इस्तेमाल साबुन, शैंपू और दवाईयां बनाने में होगा। हेम्प प्लास्टिक तैयार होगी जो बायोडिग्रेबल होगी। इस तरह क्षेत्र में भांग स्वरोजगार का बढ़िया जरिया बनने जा रहा है।