उत्तराखंड के इस शहर में खुला पहला बाल मित्र पुलिस थाना, मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन
पुलिस के सहयोग से देहरादून की तरह प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे। इन थानों में बच्चों की काउंसलिग की व्यवस्था भी की जायेगी।
Jan 23 2021 5:58PM, Writer:Komal Negi
पुलिस थाने का जिक्र होते ही हमारे सामने एक ऐसी जगह की छवि उभरती है, जो चाइल्ड फ्रेंडली तो कतई नहीं कही जा सकती। इस छवि को तोड़ने के लिए उत्तराखंड में बाल मित्र पुलिस थाने की स्थापना की गई है। राजधानी देहरादून में बने बाल मित्र थाने का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। ये थाना दूसरे थानों से क्यों अलग है और इसकी खासियत क्या है, ये भी आपको बताते हैं। बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य, वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे। जो कि बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराध से दूर रखने की कोशिश करेंगे। यहां बच्चों की सुविधा और उनके खेलने के लिए झूलों और खिलौनों की व्यवस्था की गई है।
यह भी पढ़ें - उड़ता उत्तराखंड: हिमाचल से 12.60 ग्राम स्मैक ला रहे 2 नशे के सौदागर गिरफ्तार
बाल मित्र थाना डालनवाला कोतवाली के अंतर्गत बनाया गया है। थाने के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बाल मित्र थाने के खुलने के साथ ही उत्तराखंड में एक नई शुरूआत हुई है। अनजाने में अपनी दिशा से भटक जाने वाले बच्चों को इन थानों के माध्यम से सही दिशा देने के प्रयास किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को पुलिस के नाम से पहले ही घर में डराया जाता है। ऐसे में बच्चों के मन में पुलिस को लेकर एक भय घर कर जाता है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बच्चों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ रुपये के राहत कोष की व्यवस्था करने की घोषणा भी की।
यह भी पढ़ें - हरिद्वार: लक्सर में पकड़े गए 2 शातिर चोर.. कई बाइक चोरियों का पर्दाफाश
कार्यक्रम में महिला एवं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी भी मौजूद रहीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे। इन थानों में बच्चों की काउंसलिग की व्यवस्था की जायेगी। कार्यक्रम को डीजीपी अशोक कुमार ने भी संबोधित किया। डीजीपी ने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाने के माध्यम से हमारी कोशिश एक ऐसा स्पेस बनाने की है, जो चाइल्ड फ्रेंडली हो, बच्चे वहां आने से झिझके नहीं। बाल थाने का उद्देश्य बच्चों के जेहन में घर कर गई पुलिस की छवि को बदलना है। पुलिस का प्रयास है कि हर थाने को महिलाओं एवं बच्चों के अनुकूल बनाया जाए।