पहाड़ में एक शिक्षक ऐसा भी.. खेल खेल में गणित को बनाया आसान, 9 साल से 100 फीसदी रिजल्ट
शिक्षक वीरेंद्र के गणित पढ़ाने का तरीका बेहद अनोखा है। वो बच्चों को खेल-खेल में गीतों के जरिए गणित पढ़ाते हैं। इससे बच्चों को मैथ्स की क्लास बोरिंग नहीं लगती और उनकी गणित में रुचि भी बढ़ती है।
Feb 3 2021 3:39PM, Writer:Komal Negi
गणित। ऐसा विषय, जिसके बारे में सुनते ही हम में से कई लोगों की बचपन की अच्छी यादें ताजा हो जाती हैं और कई लोगों की बुरी यादें। हम में से कई ऐसे लोग हैं जो बचपन में मैथ्स से सबसे ज्यादा डरते थे, लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां के बच्चे मैथ्स से बिलकुल नहीं डरते। पिछले नौ साल से इस स्कूल में गणित का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है और इसका श्रेय जाता है यहां के मैथ्स टीचर वीरेंद्र खंकरियाल को। वीरेंद्र के गणित पढ़ाने का तरीका बेहद अनोखा है। वो बच्चों को खेल-खेल में गीतों के जरिए गणित पढ़ाते हैं। इससे बच्चों को मैथ्स की क्लास बोरिंग नहीं लगती और उनकी गणित में रुचि भी बढ़ती है। वीरेंद्र के अभिनव प्रयोग के लिए उन्हें शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए भी चयनित किया गया है। शासन द्वारा ये पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले शिक्षकों को दिया जाता है। इसके लिए नामित होने वालों में वीरेद्र खंकरियाल भी शामिल हैं। मौजूदा समय में वो जीआईसी खोलाचौरी में गणित विषय के सहायक अध्यापक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
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जीआईसी खोलाचौरी पौड़ी के कोट ब्लॉक में स्थित है। ग्रामीण परिवेश वाले इस स्कूल में शिक्षक वीरेंद्र खंकरियाल की तैनाती साल 2005 में हुई। वीरेंद्र बताते हैं कि वो छात्रों के लिए गणित को रुचिकर बनाना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने खेल-खेल में गणित सिखाने की ठानी। गीतों के माध्यम से गणित को रुचिकर बनाया। इसके अलावा गणित सिखाने के लिए एक लैब भी बनाई। जहां सरल प्रयोगों के माध्यम से छात्रों को गणित के फॉर्मूले बताए जाते हैं। वीरेंद्र बताते हैं कि उनकी कोशिश है कि गांव के ज्यादा से ज्यादा बच्चे गणित को अपना पसंदीदा विषय बनाएं। इसके लिए वो महीने में एक दिन समय निकाल कर गांव में जाते हैं और अभिभावकों से भी बातचीत करते हैं। वीरेंद्र की कोशिशों के चलते उनके स्कूल में गणित का रिजल्ट पिछले 9 साल से शत-प्रतिशत रहा है। पहाड़ के हर स्कूल में वीरेंद्र जैसे शिक्षकों की जरूरत है, ताकि बच्चों को गणित और विज्ञान जैसे विषयों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।