चमोली आपदा: हमारी आंखों के सामने सब कुछ बह गया..जानिए क्या कहते हैं स्थानीय लोग
आज चमोली में हुई आपदा को करीब से देखने वालों ने बताया कि उनकी आंखों के सामने देखते ही देखते घर उजड़ गए, कई लोग बह गए और सब कुछ तबाह हो गया। Chamoli Disaster: Local people speaks about chamoli apda
Feb 8 2021 1:56PM, Writer:Komal Negi
आखिर किसने सोचा था कि उत्तराखंड एक ऐसी आपदा अपने साथ लेकर आएगा जो कई लोगों की जिंदगी तबाह कर देगा। यह किसी ने भी नहीं सोचा था कि देवभूमि में आज का दिन सबसे बुरे दिनों मैं से एक साबित होगा। यह अविश्वसनीय और अकल्पनीय था। अचानक ही धौली गंगा का ऐसा रौद्र रूप देखने को मिला कि देखते ही देखते सब कुछ तबाह हो गया। तपोवन में और रैणी रहने क्षेत्र में अचानक ही तबाही का यह मंजर देख कर सभी ग्रामीण दंग रह गए। चमोली से आ रही वीडियो को देख कर हम सबका दिल दहला जा रहा है। तो यह सोचिए आखिर उन लोगों पर क्या गुजरी होगी जिन्होंने यह सब कुछ अपनी आंखों से अपने सामने होते हुए देखा होगा। जिन्होंने इस त्रासदी को पास से देखा होगा। जिन्होंने लोगों को बहते हुए देखा होगा और लोगों को मदद के लिए चिल्लाते हुए देखा होगा। जिन्होंने देखा होगा कि आखिर घरों का उजड़ना क्या होता है।
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अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस आपदा में 150 लोगों की मृत्यु हो गई है। आईटीबीपी ने 10 शवों को बरामद किया है। परिस्थितियां अभी काबू में हैं मगर वहां पर रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने जो देखा वह बेहद खतरनाक था। चमोली के रैणी में आई आपदा से लोगों के बीच में डर साफ दिखाई दे रहा है। ऋषि गंगा शीर्ष भाग से ही ढलान पर बहती है जिससे नदी का पानी तेज बहाव से निचले क्षेत्र में पहुंच गया और सब कुछ तबाह करता हुआ चला गया। रैणी गांव के निवासी शंकर राणा ने बताया कि आज जो भी उन्होंने देखा वह अकल्पनीय था। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस प्रकार की घटना घटेगी और कई बेगुनाहों को मौत के मुंह में धकेल देगी। सुबह 9:30 बजे उच्च हिमालई क्षेत्र से सफेद धुंए के साथ नदी मलबे के साथ बहकर आ रही थी और नदी के तेज बहाव से डरावनी आवाज भी निकल रही थी।
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उफान को देखकर लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकले। तपोवन के निवासी संदीप नौटियाल ने बताया कि रोजमर्रा की तरह लोग अपने काम पर जा रहे थे कि तभी यह हादसा हो गया। धौलीगंगा पर निर्माणाधीन तपोवन- विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण में मजदूर काम कर रहे थे और कई लोग बैराज साइड भी काम कर रहे थे। अचानक ही ग्लेशियर टूट गया और वहां पर अफरा-तफरी मच गई। वहां काम कर रहे मजदूरों को सुरक्षित स्थानों में चले जाने के लिए आवाज भी लगाई गई लेकिन मजदूरों को नदी की तेज गर्जना से कुछ भी सुनाई नहीं दिया और चंद ही मिनटों में देखते ही देखते परियोजना का बैराज मलबे में दफन हो गया। आशंका जताई जा रही है कि कई मजदूर इसमें दब गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने परिस्थितियों का जायजा लिया। वहीं घटना के बाद से चमोली जिले में पुलिस नदी किनारे की बस्तियों को लाउडस्पीकर से अलर्ट कर रही है और कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी के किनारे बसे हुए मकानों को खाली करने में जुटी हुई है। तपोवन बैराज पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। डेढ़ सौ से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।