image: Female dog lost her puppies in flood

चमोली आपदा: सैलाब में बह गए इस बेजुबान के बच्चे..अब हर वक्त नदी को ताकती रहती है

यह मासूम हर रोज सुबह होते ही ऋषिगंगा नदी की ओर आस लगा कर देखने लग जाती है। एक हफ्ते से भूखी-प्यासी इस मासूम की आंखें बाढ़ में बह गए अपने मासूम बच्चों का इंतजार कर रही हैं।
Feb 13 2021 5:53PM, Writer:Komal Negi

(वैभव सकलानी जी की पोस्ट से साभार) )7 फरवरी वह काला दिन था जिसको चमोली जिला समेत पूरा उत्तराखंड कभी नहीं भुला पाएगा। चमोली जिले में पल भर में सब तबाह हो गया। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चमोली में ऐसा कुछ हो जाएग। सच में आपदा कभी भी दस्तक देकर नहीं आती। वह पल भर में आती है और सब कुछ उजाड़ कर ले जाती है और देखते ही देखते सब कुछ तबाह हो जाता है। 7 फरवरी को ऋषि गंगा में हुए हादसे ने पूरे उत्तराखंड की नींद उड़ा रखी है और और इस आपदा से इंसानों के साथ ही जानवर भी अछूते नहीं रहे हैं। जानवरों के ऊपर भी यह आपदा कहर बनकर बरसी है। तपोवन में आई आपदा में कई जानवर इस गंगा में आए उफान में बह गए।

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इस बेजुबान मां के बच्चे भी ऋषि गंगा की जल प्रलय में बह गए हैं और यह मासूम अब तक अपने बेजुबान बच्चों की राह ताक रही है। वाकई मां का दिल और उसका बच्चों के प्रति प्रेम और मोह इंसान और जानवरों में एक समान ही होता है। यह मासूम 1 हफ्ते से अपने बच्चों का इंतजार कर रही है। 1 हफ्ते से इसने कुछ खाया-पिया भी नहीं है। वह बस अपने बच्चों का इंतजार कर रही है जो बाढ़ में बह गए हैं। एक मां का दिल उम्मीद कभी नहीं छोड़ता। पिछले 7 दिनों से यह मासूम हर रोज नदी की ओर देखती रहती है। इसी आस में कि उसके बच्चे वापस आएंगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि 7 फरवरी को आई बाढ़ में इस मासूम के बच्चे भी बह गए हैं। साथ ही जो भी कर्मचारी ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में काम करते थे और जो उसको खाना देते थे वह भी आपदा में बह गए हैं।

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उस दिन के बाद से ही यह बेजुबान उदास है और वह रोज सुबह आकर एक खाली जगह पर बैठ जाती है और उस गंगा नदी को निहारती रहती है जिसने उससे उसके बच्चों को छीन लिया। उसे अभी भी उम्मीद है कि उसके बच्चे वापस आएंगे। कई लोग दया करके उसको खाना देने की कोशिश करते हैं लेकिन वह बीते 1 हफ्ते से कुछ भी नहीं खा रही है और अपने बच्चों का लगातार इंतजार कर रही है। आपको बता दें ऋषिगंगा की आपदा में जनहानि के साथ ही भारी मात्रा में पशु हानि भी हुई है। ग्रामीण इलाकों में पशुपालन आजीविका का एक बड़ा साधन है। ऐसे में जिन भी लोगों के पशु बह गए हैं वे लोग भी काफी परेशान चल रहे हैं और उनको भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार कई परिवारों की लगभग 180 बकरियां लापता हैं।


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