दुखद: चमोली आपदा में लापता हुए 4 बेटे..परिजनों पुतला बनाकर किया अंतिम संस्कार
कई दिन इंतजार करने के बाद भी जब बेटों की कोई खबर नहीं मिली तो परिजनों ने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने लाडलों को मृत मान लिया। रविवार को पुतला बनाकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
Feb 15 2021 4:12PM, Writer:Komal Negi
चमोली में आया आपदा का सैलाब अपने पीछे दर्द की अनगिनत कहानियां छोड़ गया। विकासनगर का कालसी विकासखंड ऐसी ही दुखद कहानी का गवाह बनकर रह गया है। यहां एक गांव है पंजिया। इस गांव में रहने वाले चार युवक रोजी-रोटी की तलाश में जोशीमठ गए थे, लेकिन आपदा के बाद से इनका कोई सुराग नहीं लगा। कई दिन इंतजार करने के बाद भी जब बेटों की कोई खबर नहीं मिली तो परिजनों ने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने लाडलों को मृत मान लिया। स्वजनों ने लापता युवकों को मृत मानकर उनका पुतला बनाया और हरिपुर कालसी में यमुना किनारे अंतिम संस्कार किया। इन चार युवकों में दो सगे भाई भी शामिल थे। आपदा में जिन लोगों ने अपने लाडलों को गंवा दिया, उनके दर्द का आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। जिन हाथों से लोगों ने अपने बेटों को पाल-पोसकर बड़ा किया था, उन्हीं हाथों से लाडलों के पुतले बनाकर उन्हें चिता के हवाले करना पड़ रहा है। स्वजनों की पीड़ा देखकर हर आंख नम है, हर दिल तड़प रहा है, लेकिन प्रकृति के कहर के आगे हर कोई बेबस है। आगे पढ़िए
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चमोली में आई आपदा के 9 दिन बीत जाने के बाद भी सैकड़ों लोग अब तक लापता हैं। कई परिवार अभी भी अपनों के लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जबकि कई लोगों ने आस छोड़ दी है। तपोवन और रैणी क्षेत्र में आई तबाही में जौनसार बावर के कुल 9 युवक लापता हुए थे। 7 फरवरी को चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लापता युवकों में से सिर्फ ददोली निवासी अनिल पुत्र भगतू का ही शव बरामद हुआ। बाकी 8 युवक अब भी लापता हैं। पंजिया गांव में भी सन्नाटा पसरा है। शोक में डूबे गांव वाले खेती-बाड़ी के काम तक नहीं कर पा रहे। आपदा में यहां रहने वाले दो सगे भाई संदीप और जीवन समेत हर्ष और कल्याण लापता हो गए थे। संदीप और जीवन तीन महीने पहले ही मजदूरी करने के लिए जोशीमठ गए थे। इसी तरह गांव में रहने वाले पूर्ण सिंह का बेटा हर्ष भी तपोवन में मजदूरी करता था। गांव के कल सिंह और पानो देवी का बेटा कल्याण भी आपदा के बाद से लापता है। कल्याण का ढाई महीने का बेटा है। रविवार को परिजनों ने उन्हें मृत मानकर उनके पुतले बनाए और यमुना किनारे अंतिम संस्कार कर दिया।