पहाड़ में जल्द दौड़ेगी ट्रेन..5 Km सुरंग बनकर तैयार..बनेंगे 16 पुल और 12 रेलवे स्टेशन
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना के तहत 5 किलोमीटर की सुरंग बनकर तैयार हो गई। 31 मार्च तक रेल परियोजना के 50 प्रवेश द्वार बनाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
Feb 19 2021 7:59PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना का काम बेहद तेजी से चल रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ों पर जल्द ही रेलगाड़ी दौड़ती नजर आएगी। यह सपना है पीएम नरेंद्र मोदी का जो पूरा होने जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना के तहत 5 किलोमीटर की सुरंग बनकर तैयार हो गई। फरवरी के अंत तक यह कार्य रेल विकास निगम की ओर से पूरा कर लिया जाएगा। हर दिन तकरीबन 100 मीटर सुरंग बनाने का लक्ष्य रखा है। आपको बता दें कि कोरोना काल के चलते देश भर में लॉकडाउन के दौरान ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम भी स्थगित हो गया था। मगर अब फिर से परियोजना के काम में तेजी देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना के तहत चार धामों को रेलवे सेवा से जोड़ने का काम किया जा रहा है। कुछ सालों में ही यह इंतजार खत्म होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है जो कि तेजी से आकार ले रहा है। 5 किलोमीटर तक यह सुरंग बन कर तैयार भी हो गई है और तेजी से इस पर काम चल रहा है। आगे पढ़िए
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रेल विकास निगम के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश ने जानकारी दी कि 126 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के 9 पैकेज में कुल 80 द्वार होंगे और 31 मार्च तक 50 प्रवेश द्वार भी बना लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने किसी भी आपदा जैसे भूकंप, बाढ़ और आग से निजात पाने के लिए डिजाइन तैयार किया गया है। इन सभी महत्वपूर्ण बातों को देखते हुए ही इस सुरंग का निर्माण चल रहा है। हिमालय के कठिन और अत्यंत चुनौती पूर्ण क्षेत्र में इस लंबी परियोजना को 2024 तक पूरा करने का निर्णय लिया गया है। परियोजना के तहत 16 पुल, 17 सुरंग और 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाना प्रस्तावित है। इनमें से 10 स्टेशन पुलों के ऊपर और सुरंग के अंदर होंगे और जमीन पर इन स्टेशनों का केवल प्लेटफार्म वाला हिस्सा ही दिखाई देगा। ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन में पहाड़ के नीचे से 20 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की भी योजना है और यह टनल हिमालयी क्षेत्र में बनने वाली अब तक की सबसे लंबी टनल होगी। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना 125 किलोमीटर लंबी है और 2024 तक इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।