चमोली आपदा: दूसरों की जान बचाकर खुद सैलाब में बह गए दो भाई..शत शत नमन
बैराज में काम करते वक्त अनूप और राजेश ने जब सैलाब आते देखा तो शोर मचाने लगे। जिसके चलते कई श्रमिकों ने भागकर जान बचा ली, लेकिन अनूप और राजेश खुद को नहीं बचा सके।
Feb 23 2021 3:52PM, Writer:Komal Negi
चमोली में आपदा के दौरान ऐसी कई कहानियां सुनने को मिलीं, जिन्होंने इंसानियत पर हमारा भरोसा और मजबूत कर दिया। आपदा के दौरान सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन के अफसर अपना घर-परिवार, भूख-प्यास सब भूलकर लोगों को बचाने में जुटे रहे। पहाड़ से आए सैलाब को देख जब लोग सिर्फ अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहे थे, उस वक्त पहाड़ के दो भाई ऐसे भी थे, जिन्होंने शोर मचाकर दूसरे लोगों की जान तो बचा ली, लेकिन खुद को नहीं बचा सके। इन चचेरे भाइयों का नाम अनूप और राजेश है। दोनों तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना के बैराज पर काम करते थे। ऋषिगंगा की आपदा के दौरान ये दोनों भाई दूसरे लोगों की जान बचाने में जुटे रहे। बैराज में काम करते वक्त अनूप और राजेश ने जब सैलाब आते देखा तो शोर मचाने लगे। जिसके चलते कई श्रमिकों ने भागकर जान बचा ली। यही नहीं बैराज के ठीक सामने स्थित उनके घर से स्वजन भी शोर मचाकर दोनों भाईयों को भागने को कहते रहे, लेकिन जब तक ये दोनों भाई भाग पाते, सैलाब उन्हें अपने आगोश में ले चुका था। आगे पढ़िए
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कई मजदूरों की जान बचाने वाले ये दोनों भाई आपदा के बाद से लापता हैं। ढाक गांव निवासी अनूप और राजेश थपलियाल तपोवन परियोजना के बैराज में कंक्रीटिंग का काम करा रहे थे। वो यहां सीनियर सुपरवाइजर के तौर पर तैनात थे। आपदा के चश्मदीद संदीप कुमार और विक्रम सिंह बताते हैं कि आपदा वाले दिन अनूप और राजेश की कोशिश के चलते ही उनकी जान बच सकी, लेकिन ये बेहद अफसोसजनक है कि दूसरों को बचाने की कोशिश में ये दोनों भाई अपनी जान नहीं बचा सके। आपदा के दौरान लापता अनूप अपने पिता का इकलौता बेटा था। उनका 11 साल का एक बेटा है। पत्नी सपना 7 माह की गर्भवती है। वहीं राजेश का एक बेटा और एक बेटी है। दोनों के लापता होने से परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। राजेश के भाई रविंद्र कहते हैं कि जान बचाने का पूरा समय होने के बावजूद वो हमारी आंखों के सामने ही ऋषिगंगा में समा गए। दोनों के जाने का गम हमें जिंदगीभर सालता रहेगा।