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गढ़वाल विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड को दिया तीसरा CM..जानिए तीरथ सिंह रावत की कहानी

गढ़वाल विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड को दिया तीसरा मुख्य मंत्री।छात्र जीवन के दौरान राजनीति से जुड़ने वाले उत्तराखंड के नए सीएम तीरथ सिंह रावत अपने छात्र जीवन में छात्र संघ का चुनाव भी जीत चुके हैं।
Mar 10 2021 6:42PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद अब उत्तराखंड को उसका नया मुख्यमंत्री मिल गया है और अब उत्तराखंड की कमान तीरथ सिंह रावत के कंधों पर सौंप दी गई है। जी हां, छात्र राजनीति से निकले तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड राज्य के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं और राजनीति में वे भुवन चंद्र खंडूरी के शिष्य माने जाते हैं। छात्र राजनीति में कदम रखने के बाद तीरथ सिंह रावत ने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव जीता था। जी हां, तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े हुए हैं और राजनीति में काफी अधिक सक्रिय रहे हैं। वहीं गढ़वाल विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड को तीसरा मुख्यमंत्री दिया है। श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय ने इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक और त्रिवेंद्र सिंह रावत के रूप में दो मुख्यमंत्री दिए थे और अब तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने से गढ़वाल विश्वविद्यालय ने हैट्रिक कर दी है। तीरथ सिंह रावत आरएसएस यानी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी काफी करीबी माने जाते हैं और उन्होंने सन 1983 से 1988 तक आरएसएस के प्रचारक के रूप में काफी काम किया है। इस दौरान वे उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में जाकर संघ को मजबूत बनाने के लिए काम करते थे।

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युवाओं के बीच उनकी बढ़ती प्रसिद्धि को देखते हुए उनको एबीवीपी ( अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ) में काम करने के लिए भेज दिया गया..छात्र राजनीति में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव जीता और वे दो बार छात्र संघ मोर्चा उत्तर प्रदेश में प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने। उन्होंने छात्र राजनीति के दौरान अलग-अलग राज्य आंदोलनों में भाग भी लिया। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1964 में जन्मे तीरथ सिंह रावत ने सोशयोलॉजी विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और उसके बाद गढ़वाल विश्वविद्यालय से डिप्लोमा की डिग्री भी प्राप्त की है। वे सन 1957 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा परिषद के सदस्य बने और 2007 में वे बीजेपी के उत्तराखंड राज्य प्रदेश प्रभारी बने। 2012 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में कदम रखा और वे उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।


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