image: Minor children are driving vehicles in Uttarakhand

उत्तराखंड: मां-बाप की छोटी सी गलती, 158 बच्चों की हुई मौत..पढ़िए Shoking रिपोर्ट

जिस उम्र में हाथों में किताबें थमाई जानी थीं, उस उम्र में परिजनों ने हाथों में एक्सीलेटर थमा दिया तो अंजाम बुरा होना ही था। पिछले तीन साल में 158 नाबालिगों ने सड़क हादसों में जान गंवा दी। पढ़िए रिपोर्ट
Mar 24 2021 3:30PM, Writer:Komal Negi

माता-पिता और संतान का रिश्ता लाड़-दुलार का होता है। बच्चे माता-पिता की पूरी दुनिया होते हैं। अभिभावकों का बच्चों पर प्यार-दुलार लुटाना आम बात है, लेकिन कई बार बच्चों की हर जिद मानना और उनकी गलतियों को नजरअंदाज करना इस रिश्ते को बर्बाद करने के लिए काफी होता है। अब उत्तराखंड में ही देख लें, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यहां माता-पिता की छोटी सी गलती के चक्कर में पिछले तीन साल में 158 नाबालिगों की मौत हो गई। यही नहीं करीब 325 नाबालिग बच्चे गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। उत्तराखंड यातायात निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में 158 नाबालिगों ने एक्सीडेंट के दौरान सड़कों पर दम तोड़ दिया। ये वो नादान बच्चे थे, जिन्होंने रफ्तार के जुनून में अपनी जान गंवा दी। जिस उम्र में हाथों में किताबें थमाई जानी थीं, उस उम्र में परिजनों ने हाथों में एक्सीलेटर थमा दिया तो अंजाम बुरा होना ही था। तेजी से ड्राइविंग के चलते इन मासूमों ने सड़कों पर दम तोड़ दिया। एक रिसर्च के मुताबिक पिछले तीन साल में 158 मासूमों का एक्सीडेंट में घायल होकर यूं सड़कों पर दम तोड़ देना बेहद गंभीर विषय है। आगे पढ़िए

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नाबालिगों के वाहन चलाने को लेकर मोटर व्हीकल एक्ट के नियम क्या कहते हैं, ये भी जान लें। ट्रैफिक रूल्स के अनुसार अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते पकड़ा जाता है तो वाहन मालिक को जुर्माना भरना पड़ेगा। नाबालिग के गाड़ी चलाने पर 25 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए रद्द किया जा सकता है। यही नहीं पकड़े जाने के बाद नाबालिग का ड्राइविंग लाइसेंस 25 साल की उम्र तक नहीं बनेगा। निदेशक ट्रैफिक केवल खुराना कहते हैं कि नाबालिग छात्र अगर वाहन का उपयोग करता हुआ पकड़ा गया तो वाहन सीज करने साथ परिजनों पर भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं। उनकी तरफ से हर स्तर पर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन परिजनों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। आप भी जिम्मेदार माता-पिता और नागरिक बनें। बच्चे को गाड़ी थमाने से पहले ट्रैफिक निदेशालय के इन आंकड़ों पर जरूर गौर कर लें, क्योंकि कई बार जिंदगी गलतियां सुधारने का मौका नहीं देती।


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