उत्तराखंड से बड़ी खबर, सड़कों के मलबे से गोरी नदी में बनी झील..मौके पर पहुंची टीम
राजस्व दल ने कहा कि मलबे से नदी का प्रवाह प्रभावित जरूर हुआ है, लेकिन झील से लगातार पानी की निकासी हो रही है। इसलिए पांतू गांव पर किसी तरह का संकट नहीं है।
Apr 23 2021 6:09PM, Writer:Komal Negi
पहाड़ में नदी किनारे मलबा जमा होने से बनी झीलें किस हद तक खतरनाक हो सकती हैं, इसकी एक बानगी हम चमोली आपदा के रूप में देख चुके हैं। कुमाऊं का मुनस्यारी क्षेत्र भी इसी तरह के संकट से जूझ रहा था। यहां निर्माणाधीन सड़कों का मलबा गोरी नदी में डाला जा रहा था। जिससे नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ और झील बनने लगी। हालांकि राहत वाली बात ये है कि झील से पानी के निकासी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गुरुवार को तहसील मुख्यालय से राजस्व विभाग की एक टीम ने यहां पहुंचकर ताजा हालात का जायजा लिया। टीम का कहना है कि इस जगह पर नदी का प्रवाह बना हुआ है, लिहाजा झील बनने से किसी तरह का खतरा नहीं है। टीम ने नदी में डाले गए पत्थरों को हटाने के निर्देश भी दिए हैं। ये झील ओपी नाम की जगह पर बनी है, जो कि मुनस्यारी तहसील से 15 किमी दूर है।
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यहां मुनस्यारी-मिलम और पांतू निर्माणाधीन मार्ग का मलबा गोरी नदी में डाले जाने से नदी का प्रवाह प्रभावित हो गया था। जिस वजह से क्षेत्र में एक विशाल झील बन गई। नदी का जलस्तर बढ़ने से पांतू गांव पर डूबने का खतरा मंडराने लगा था। जिसके बाद पांतू के ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन को सूचना दी। एसडीएम के निर्देश पर गुरुवार को राजस्व विभाग की एक टीम को मौके पर भेजा गया। टीम ने हालात का जायजा लेकर नदी में गिरे मलबे को हटाने के निर्देश दिए हैं। राजस्व दल ने बताया कि नदी में सड़कों का मलबा गिरा है, लेकिन नदी का प्रवाह रुका नहीं है। इसलिए फिलहाल गांव पर किसी तरह का खतरा नहीं है। हालांकि मजदूरों को मलबा हटाने को कहा गया है। टीम ने सड़क निर्माण करने वाली एजेंसियों को सड़क का मलबा नदी की बजाय डंपिंग यार्ड में डालने के निर्देश दिए। साथ ही नदी से मलबा हटाने को भी कहा, ताकि झील से पानी की निकासी जारी रहे।