उत्तराखंड: कोरोना संक्रमितो को दिए जा रहे थे नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन..जिम्मेदार बेखबर
उत्तराखंड में नकली रेमडेसिवीर के काले कारोबार से पर्दा उठने के बाद हरिद्वार प्रशासन, ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
May 1 2021 8:12PM, Writer:Komal Negi
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच हम बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। अस्पतालों में बेड नहीं हैं, वेंटिलेटर-ऑक्सीजन की कमी है। इस बीच एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर की डिमांड काफी बढ़ गई है, लेकिन इस महामारी में भी कुछ लोग मुनाफाखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। मजबूर लोग कहीं 20 तो कहीं 40 हजार रुपये देकर रेमडेसिविर खरीद रहे हैं। इससे न सिर्फ रेमडेसिविर की कालाबाजारी बढ़ी है, बल्कि नकली इंजेक्शन की सप्लाई करने का धंधा भी खूब चल पड़ा है। अपने उत्तराखंड में भी पुलिस, प्रशासन और ड्रग कंट्रोल विभाग की नाक के नीचे नकली इंजेक्शन बनाने और इसे बेचने का धंधा चल रहा था, लेकिन स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। हरिद्वार प्रशासन रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के बड़े-बड़े दावे कर रहा था, लेकिन इन दावों की पोल तब खुल गई जब दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम उत्तराखंड धमक पड़ी और हरिद्वार-रुड़की में छापेमारी कर नकली रेमडेसिविर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। ये लोग 38 रुपये के एंटीबायोटिक इंजेक्शन की शीशी पर रेमडेसिविर का लेबल लगाकर इसे हजारों रुपये में बेच रहे थे। गिरोह अब तक सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के अलावा दिल्ली में भी हजारों शीशी सप्लाई कर चुका है। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में बीते 72 घंटे में 315 लोगों की मौत..देखिए हर जिले से भयावह आंकड़े
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से नकली रेमडेसिविर के काले कारोबार से पर्दा उठाने के बाद अब स्थानीय प्रशासन, ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। इस गिरोह ने अब तक दो हजार से अधिक लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन पांच से छह गुना दाम पर बेचे हैं। पैसा खर्च करने बाद भी इनमें से न जाने कितने मरीज जिंदगी की जंग हार गए होंगे। बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उत्तराखंड में नकली रेमडेसिविर बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के सरगना समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह उत्तराखंड के हरिद्वार, रुड़की और कोटद्वार में अवैध फैक्ट्रियों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहा था। मामले के खुलासे के बाद उत्तराखंड पुलिस और ड्रग विभाग की छवि पर दाग लगा है। दिल्ली की क्राइम ब्रांच के साथ ही उत्तराखंड पुलिस भी इस मामले की जांच में जुटी है।