गढ़वाल: मनीष ने तिमला, सेमल, माल्टा, बुुरांश से शुरू किया स्वरोजगार...हर साल लाखों में कमाई
90 के दशक में जब लोग गांव छोड़कर शहर जा रहे थे, उस वक्त मनीष ने गांव में रहकर ही कुछ करने की ठानी। आज वो स्वरोजगार से हर साल 24 से 25 लाख रुपये तक कमा रहे हैं।
May 1 2021 9:58PM, Writer:Komal Negi
पहाड़ी उत्पादों के जायके की बात ही निराली है। बदलते दौर के साथ पहाड़ी उत्पाद देश-विदेश में अपनी महक बिखेर रहे हैं, साथ ही इनके जरिए लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे ही युवा के बारे में बताएंगे, जिन्होंने सालों पहले पहाड़ी खाद्य पदार्थों से अचार, सॉस, स्क्वैश, मसाले-लूंण आदि बनाने की शुरुआत की थी। आज वो इन्हीं पहाड़ी उत्पादों के जरिए सालभर में 24 से 25 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। इनका नाम है मनीष सुंदरियाल। मनीष पौड़ी गढ़वाल जिले के नैनीडांडा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम डुंगरी में रहते हैं। साल 1998 में उन्होंने अपने पिता संग मिलकर पहाड़ी उत्पादों को मंच देने की शुरुआत की थी। ये काम मुश्किल जरूर था लेकिन मनीष ने हार नहीं मानी। मनीष बताते हैं कि 90 के दशक में उनके साथी शहरों का रुख कर रहे थे। ऐसे वक्त में भी वो गांव में रहकर ही कुछ अलग करना चाहते थे। उन्होंने डेढ़ लाख की पूंजी लगाकर अपना काम शुरू किया और आम, कटहल, तिमला, सेमल, जंगली आंवला, माल्टा, बुरांश और अदरक आदि उपज से कई खाद्य पदार्थ तैयार किए। आगे पढ़िए
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वो पहाड़ी दालों और अनाजों को ‘तृप्ति’ नाम से बाजारों में बेचने लगे। धीरे-धीरे गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक उनके उत्पादों की डिमांड बढ़ने लगी। आज उनके बनाए प्रोडक्ट देश के कोने-कोने में भेजे जाते हैं। कभी डेढ़ लाख की पूंजी से स्वरोजगार शुरू करने वाले मनीष आज हर साल 24 से 25 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। यही नहीं उन्होंने गांव के 20 से 25 लोगों को रोजगार से जोड़ा है, ताकि वो भी आत्मनिर्भर बन सकें। मनीष क्षेत्र के युवाओं के लिए स्वरोजगार की मिसाल बन गए हैं। वो कहते हैं कि युवाओं के कौशल को परखने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर काम होना चाहिए। ये अच्छी बात है कि अब पीएम नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान की मदद से युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके जरिए युवाओं को अपने हुनर को पहचानने और आगे बढ़ने में मदद मिल रही है।