‘मुझे प्रतीकात्मक कुंभ की वजह से नहीं हटाया गया’..पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने रखा अपना पक्ष
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने महाकुंभ के सुपर स्प्रेडर बनने पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमें गंभीरता का अंदाजा था, मेरी सरकार इसे लेकर सतर्क थी और उसी के हिसाब से योजना बना रही थी।
May 12 2021 12:41AM, Writer:Komal Negi
हरिद्वार महाकुंभ। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक। बीते महीने संपन्न हुए इस आयोजन को कोरोना का सुपर स्प्रेडर कहा जा रहा है। हर जगह इसी बात पर चर्चा हो रही है कि क्या देश में कोरोना के बीच हुआ महाकुंभ रोका जा सकता था। क्या इसको लेकर उत्तराखंड सरकार ने ऐसी कोई कोशिश की थी। पिछले दिनों एक न्यूज रिपोर्ट में कहा गया था कि हां, ऐसी कोशिशें जरूर हुई थी। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने महाकुंभ को प्रतीकात्मक रखने का प्रयास किया था, लेकिन यही कोशिश उनकी कुर्सी लील गई। चार साल का कार्यकाल पूरा होने के महज 9 दिन पहले त्रिवेंद्र से इस्तीफा ले लिया गया। मीडिया रिपोर्ट में बीजेपी के बड़े नेताओं और अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों से हुई बातचीत के बाद ऐसा दावा किया गया था कि महाकुंभ को सीमित रखने की कोशिश और साधु समाज की नाराजगी के चलते ही त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। हालांकि अब इन तमाम चर्चाओं को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना पक्ष साफ कर दिया है।
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टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखने के चलते उन्हें सीएम पद से हटाए जाने की चर्चा तथ्यपूर्ण नहीं है। कोविड-19 को लेकर परिस्थितियां जिस कदर गंभीर थी, उसे देखते हुए कुंभ मेले के आयोजन के लिए जो भी उचित स्वरूप हो सकता था, उस पर साधु समाज सहमत था। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने महाकुंभ के सुपर स्प्रेडर साबित होने के सवाल पर भी अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि मुझे गंभीरता का अंदाजा था। इसलिए मेरी सरकार इसे लेकर सतर्क थी और उसी के हिसाब से योजना बना रही थी। अब फैक्ट्स सबके सामने हैं, तो इस बारे में मेरा बोलना सही नहीं है। त्रिवेंद्र ने साफ तौर पर कहा कि उनकी सरकार 'प्रतीकात्मक कुंभ' के पक्ष में थी, जिस पर साधु समाज ने सहमति जताई थी। पीएम मोदी ने भी इसे लेकर संतोष जताया था। ऐसे में उन्हें कुंभ को सीमित करने की वजह से हटाए जाने की बात सही नहीं है।