उत्तराखंड में कुंभ के बाद 1800 प्रतिशत बढ़े कोरोना के केस बढ़े- रिपोर्ट
महाकुंभ से पहले ही इस बात का डर सता रहा था कि कहीं ये आयोजन सुपर स्प्रेडर घटना न बन जाए, दुर्भाग्य से ये डर अब हकीकत में बदल गया है।
May 12 2021 12:38AM, Writer:Komal Negi
कुंभ मेले के आयोजन को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है। दुख की बात ये है कि चर्चा की वजहें अच्छी नहीं हैं। देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के लिए महाकुंभ को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच इस बात पर काफी बहस हो चुकी है कि आखिर जोखिम लेकर कुंभ मेले का आयोजन क्यों किया गया। द क्विंट की रिपोर्ट की बात करें तो 31 मार्च से 24 अप्रैल के बीच महाकुंभ के आयोजन के दौरान उत्तराखंड में कोविड संक्रमण मामलों में 18,00 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। कुंभ शुरू होने के बाद राज्य में केवल एक महीने के भीतर कोविड के 1.3 लाख केस दर्ज हुए। उत्तराखंड की आबादी ज्यादा नहीं है, ऐसे में इतनी बड़ी तादाद में लोगों का कोरोना संक्रमित मिलना बताता है कि कहीं न कहीं लापरवाही तो जरूर हुई है। उत्तराखंड में पिछले साल फरवरी-मार्च से मई के पहले हफ्ते तक तक राज्य में कुल 2.3 लाख कोरोना वायरस संक्रमण केस मिले।
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इसमें से अकेले 1.3 लाख केस 11 अप्रैल से 7 मई के बीच दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि इसी अंतराल में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। महाकुंभ को कोरोना का सुपर-स्प्रेडर कार्यक्रम कहा जा रहा है, ये बात और है कि राज्य सरकार यह मानने से लगातार इनकार करती रही है। कुंभ से पहले ही इस बात का डर सता रहा था कि कहीं ये आयोजन सुपर स्प्रेडर घटना न बन जाए, दुर्भाग्य से ये डर हकीकत में बदल गया है। 1 अप्रैल को जहां उत्तराखंड में कोरोना के 2236 एक्टिव केस थे, वहीं 10 मई को ये संख्या बढ़कर 74,480 पर पहुंच गई है। कोरोना का खतरा अब गांव-गांव तक पहुंच गया है। कुंभ के आयोजन को लेकर अब भी लगातार बहस हो रही है। सवाल यही है कि जब विशेषज्ञों ने इस आयोजन के 'सुपर स्प्रेडर' होने की संभावना जाहिर की थी, तब भी इसे रोका क्यों नहीं गया।