उत्तराखंड: गांवों तक पहुंचा कोरोना, 8 संवेदनशील राज्यों में हुआ शामिल..केंद्र ने भी मानी बात
कोरोना के बढ़ते प्रकोप से गांवों में भी दहशत है। ग्रामीणों का कहना है कि हमें संक्रमण और बीमारी से डर नहीं लगता, लेकिन इलाज की व्यवस्था नहीं होने से डर लगता है।
May 14 2021 11:25PM, Writer:Komal Negi
कोरोना महामारी अब उत्तराखंड के गांवों में दस्तक दे चुकी है। संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच पूरे हेल्थ सिस्टम को सक्रिय होने की जरूरत है, ताकि लोगों को सुरक्षित किया जा सके। इन दिनों पहाड़ के कई गांवों में बुखार फैला है। लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन डर की वजह से अस्पताल नहीं जा रहे। स्वास्थ्य सेवाओं का हाल भी आप देख ही रहे हैं। कोविड का इलाज तो दूर लोगों को सैंपल जांच की रिपोर्ट तक के लिए कई-कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने भी उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की तस्दीक की है। केंद्र ने उत्तराखंड को उन आठ राज्यों में शामिल कर लिया है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार के सामने अब एक और चुनौती खड़ी हो गई है। कुछ समय पहले तक संक्रमण के ज्यादातर मामले मैदानी जिलों में सामने आ रहे थे, लेकिन अब खतरा गांवों तक पहुंच गया है। परेशानी ये है कि पहाड़ में न तो जांच की सुविधाएं हैं, न इलाज की।
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जिससे यहां जांचें भी कम हो रही हैं। प्रदेश सरकार ने दूरस्थ इलाकों के लिए मोबाइल टेस्टिंग लैब सेवा शुरू करने की बात कही थी, लेकिन ये योजना भी धरातल पर नहीं उतर सकी। पहाड़ी जिलों में जांच कम होने का मतलब ये है कि कोरोना पर काबू पाना और मुश्किल हो जाएगा। ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। जांच से लेकर इलाज तक के लिए पंचायतें पूरी तरह से स्वास्थ्य विभाग पर निर्भर हैं। गांव के लोग भी कोरोना के बीच बिगड़ती स्थिति की वजह से डरे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमें संक्रमण और बीमारी से डर नहीं लगता, लेकिन इलाज की व्यवस्था नहीं होने से डर लगता है। गांव में कई-कई किलोमीटर तक कोई अस्पताल नहीं है। ग्रामीण हर वक्त भगवान से यही प्रार्थना करते हैं, कि गांव में कोई बीमार न पड़े। ग्रामीणों के अनुसार प्रदेश सरकार को मैदानी क्षेत्रों की तरह गांवों में भी कोविड सेंटर बनाने चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें बेहतर इलाज मिल सके। संक्रमण रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने की भी जरूरत है।