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उत्तराखंड पर मंडरा रहा है 8 रिक्टर स्केल के भूकंप का खतरा..वैज्ञानिक शोध में सामने आई बड़ी बातें

वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर क्षेत्र में महाभूकंप आया तो कम से कम एक लाख की आबादी प्रभावित होगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल पर भी इसका असर पड़ेगा।
Jun 13 2021 5:57PM, Writer:Komal Negi

कभी पिथौरागढ़, कभी चमोली तो कभी धारचूला-उत्तरकाशी। उत्तराखंड में लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। खासकर नेपाल सीमा से सटी काली गंगा घाटी में बार-बार भूकंप आ रहा है। अब वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इसकी वजह का पता लगा लिया है, साथ ही एक चेतावनी भी दी है। वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बड़े भूंकप की आशंका जाहिर की है। यहां आपको धारचूला में हो रही भूगर्भीय गतिविधियों के बारे में भी जानना चाहिए। इसे लेकर मई 2021 में वाडिया के वैज्ञानिकों का एक शोध जियोफिजिकल जर्नल इंटरनेशनल व टेक्टोनोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि उत्तर पश्चिमी हिमालय के मुकाबले कुमाऊं हिमालय में क्रस्ट लगभग 38-42 किमी मोटा है। यही क्रस्ट इस क्षेत्र में सूक्ष्म और मध्यम तीव्रता के भूकंपों के लिए जिम्मेदार है। शोध में कहा गया है कि उत्तर पश्चिमी हिमालय के मुकाबले कुमाऊं हिमालय में क्रस्ट लगभग 38-42 किमी मोटा है। धारचूला में पिछले तीन सालों में वैज्ञानिकों ने 4.4 तीव्रता के तीस से अधिक भूकंप रिकार्ड किए हैं। आगे पढ़िए

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1 दिसंबर 2016 को यहां 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था। 6 फरवरी 2017 को यहां 5.5 तीव्रता का भूकंप भी दर्ज किया गया। जिसका केन्द्र रुद्रप्रयाग था। खड्ग सिंह वल्दिया की किताब ‘संकट में हिमालय’ के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां साल 1916 में 7.5, 1958 में 7.5, 1935 में 6.0, 1961 में 5.7, 1964 में 5.8, 1966 में 6.0 और 6.3, 1968 में 7.0 और 1980 में 6.5 तीव्रता वाले भूकंप रिकॉर्ड किए गए। यहां लगातार आ रहे भूकंप को देखते हुए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. देवजीत हजारिका के नेतृत्व में एक टीम ने धारचूला में काली नदी के किनारे 15 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए और तीन साल तक अध्ययन किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि कांगड़ा (1905) और बिहार-नेपाल (1934) भूकंपों के बाद क्षेत्र में 8.0 से अधिक तीव्रता के भूकंप नहीं आए हैं, जो कि भविष्य में बड़े भूकंप की चेतावनी है। अगर इस क्षेत्र में भूकंप आया तो कम से कम एक लाख की आबादी प्रभावित होगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल पर भी इसका असर पड़ेगा।


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