गढ़वाल: किसान का बेटा बना सेना में अफसर..गांव में है छोटी सी दुकान
चमोली के गैरसैंण में किसान का बेटा कृष्णा रावत बना सेना में अफसर, ब्लॉक में खुशी की लहर। आप भी दें बधाई
Jun 15 2021 5:19PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के होनहार युवाओं के लिए भारतीय सेना महज करियर ऑप्शन नहीं है बल्कि कई युवाओं का वो सपना होता है जब बचपन से देखते आ रहे हैं और भारतीय सेना में शामिल होने के सपने को साकार करने के लिए कई युवा जी तोड़ मेहनत कर सेना में जगह बनाते हैं। देवभूमि और भारतीय सेना का यह बंधन अटूट है और वर्षों से चला आ रहा है। उत्तराखंड के कई युवा भारतीय सेना में शामिल होकर राज्य का नाम गौरवान्वित कर रहे हैं। आज हम आपको चमोली जिले के एक ऐसे ही होनहार युवक से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपने घर की आर्थिक स्थिति को अपनी सफलता के आड़े आने नहीं दिया और कड़ी मेहनत और प्रशिक्षण के बाद वे आखिरकार सेना में अफसर बन गए हैं। हम बात कर रहे हैं गैरसैंण के कृष्णा रावत की जिनके पिता किसान हैं और वे अपने मेहनत से सैन्य अफसर बन गए हैं जिसके बाद गैरसैंण ब्लॉक का पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है। एमएलटीई सैन्य अकादमी मऊ से पास आउट होकर कृष्णा रावत भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं। उनके भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उनकी मां शांति देवी और उनके पिता सुरेंद्र सिंह रावत के चेहरे पर गर्व साफ तौर पर देखा जा रहा है।
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किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कृष्णा रावत का जन्म 1999 में हुआ और आठवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका परिवार गैरसैंण आ गया जहां उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज से 87 फ़ीसदी अंक के साथ इंटर की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद वे रुड़की आ गए। रुड़की में कैंट एरिया में सैनिकों की परेड देखकर कृष्णा के मन में भी भारतीय सेना में शामिल होने का सपना पलने लगा और इसी सपने को आकार देने के लिए उन्होंने वर्ष 2016 में एनडीए का एग्जाम दिया मगर पहली बार में उनको निराशा हाथ लगी। मगर उसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत कर दूसरे प्रयास में 2017 में एनडीए की परीक्षा क्लियर कर दिए और 17 जुलाई को और ओटीए में ज्वाइन किया जहां पर उन्होंने 1 वर्ष तक बेसिक सैनिक प्रशिक्षण लिया और उसके बाद टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए वे एमएलटीई मऊ में गए जहां उन्होंने 3 वर्ष तक जमकर मेहनत की और कठिन परिश्रम किया। इसके बाद आखिरकार कृष्णा रावत भारतीय सेना में अफसर बन गए हैं। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता और अपनी मां के साथ ही अपने गुरुजनों को भी दिया है। कृष्णा के पिता सुरेंद्र सिंह रावत एक किसान हैं और उनकी गांव में छोटी सी दुकान भी है। उनकी मां शांति देवी आंगनबाड़ी में सहायिका का काम कर रही हैं।