image: Keedajadi in Uttarakhand

देवभूमि का अमृत: कैंसर का अचूक इलाज है ये बेशकीमती जड़ी, जानिए इसके बेमिसाल फायदे

सोने से भी महंगी है उत्तराखंड के बुग्यालों में मिलने वाली यह कीमती जड़ी-बूटी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 25 से 30 लाख रुपए किलो तक की है कीमत।
Jul 15 2021 9:19PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड की पावन भूमि को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है। देवभूमि जड़ी-बूटियों का खजाना है। इसकी गोद में न जाने कितनी चमत्कारी जड़ी-बूटियां, औषधि मौजूद हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद गुणकारी हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही हिमालयी जड़ीबूटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 25 से 30 लाख रूपए किलो तक है। हम बात कर रहे हैं यारसा गुम्बा या कीड़ा जड़ी के नाम से प्रसिद्ध हिमालयी जड़ी-बूटी जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 25 से 30 लाख रुपए किलो है। उत्तराखंड के बुग्यालों में मिलने वाली यह जड़ी-बूटी सोने से भी अधिक कीमती है। इसको हिमालयन वियाग्रा भी कहा जाता है। यह तक कहा जाता है कि उत्तराखंड में पाए जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर यारसा गुम्बा कैंसर जैसी बीमारी में भी लाभदायक साबित होती है। इसके औषधीय गुण एवं स्वास्थ्य के लाभ को देखते हुए बाजार में इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि अब यह 25 से 30 लाख रुपए किलो तक के भाव में अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक रही है। यह उत्तराखंड के सभी पहाड़ी जिलों में मौजूद बुग्यालों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। बसंत के मौसम में स्थानीय ग्रामीण बुग्यालों में कैंप लगाकर इसको इकट्ठा करते हैं।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: यूनिवर्सिटी से रिटायर प्रोफेसर की झील में मिली लाश..मचा हड़कंप
चलिए आपको यारसा गुम्बा के बारे में और अधिक रोचक जानकारी देते हैं। यह समुद्र तल से 3500से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में जमीन के 6 इंच नीचे पाए जाने वाली जड़ी बूटी है जिसको चीनी और तिब्बती चिकित्सा पद्धति में सभी रोगों का रामबाण माना जाता है। यह कैटरपिलर और कवक के दुर्लभ संयोजन से तैयार होती है और इसको भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में भी दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कैंसर जैसे रोगों में भी यह दवाई बेहद लाभदायक है। बता दें कि उच्च हिमालई बुग्यालों में जब बर्फ पिघलना शुरू होती है तब यह जड़ी बूटी जमीन के भीतर पनपती है। इस जड़ी बूटी का वर्णन पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी देखने को मिलता है। ऐसा कहा जाता है इससे सहनशक्ति, धैर्य, भूख और ऊर्जा में गजब की बढ़ोतरी ही होती है और नींद काफी अच्छी आती है। यह भी माना जाता है कि इससे मनुष्य की उम्र बढ़ जाती है और मनुष्य जवान रहता है। इसको हिमालयन वियाग्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे कामेच्छा में भी बढ़ोतरी होती है.

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में दर्दनाक हादसा, वाहन ने मारी 7 साल के बच्चे को टक्कर..मौके पर ही मौत
इसकी खोज हिमालयी बुग्यालों के चरवाहों द्वारा की गई थी। उन्होंने यह देखा कि कीड़ा जड़ी का सेवन करने से उनके जानवर पहले से अधिक ताकतवर हो गए हैं और उनकी प्रजनन क्षमता, जीवन शक्ति और दूध का उत्पादन भी बढ़ गया है। जिसके बाद उन्होंने इस का पाउडर उनको दूध मिला कर खिलाना शुरू किया और इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी यह दिया और खुद भी इसका सेवन किया। इसके सेवन से उन्होंने अपने अंदर कई सकारात्मक प्रभाव महसूस किए। इसके बाद इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल दो दर्जन से भी अधिक बीमारियों के उपचार के लिए किया जाने लगा। मार्केट में इसकी भारी डिमांड के कारण इसका अस्तित्व खतरे में आ रखा है। मार्केट में इसकी डिमांड को देखते हुए इसके परिपक्व होने से पहले ही मुनाफाखोर और अधिक मुनाफा कमाने की होड़ में इसका दोहन कर लेते हैं जिस कारण बीते कुछ सालों में इसकी उपलब्धता में 30 फीसदी तक की कमी देखी गई है।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home